शंख के सामने पांच बार बोले ये मंत्र, मिलेंगे कमाई से लेकर शोहरत तक के मौके

धार्मिक ग्रंथों में शंख का विशेष महत्व है। अष्ट सिद्धियों व नव निधियों में शंख को भी एक अमूल्य निधि और रत्न कहा जाता है। भारतीय संस्कृति में शंख की अपार महिमा एवं उपयोगिता है। देवी-देवताओं के पूजन में ज्योतिष और तांत्रिक साधनाओं और मांगलिक कार्यों के प्रारम्भ में इसकी विशेष उपयोगिता है। पुराणों के अनुसार शंख की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। प्रकृति में पचास हजार से भी अधिक प्रकार के शंख पाए जाते हैं। जिनका अपना-अपना महत्व है। 

दक्षिणावर्ती शंख को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। दक्षिणावर्ति शंख वो होता है जो दाहिने हाथ से पकड़ा जाता है। अनंत फल प्रदान करने वाला यह शंख विशेष महत्वपूर्ण है। इसके नाद से सभी बाधाएं नष्ट हो जाती हैं। इस शंख की स्थापना से आयु, यश, धन की प्राप्ति होती है। ऐसा ब्रह्मवैवर्तपुराण में उल्लेख है। 

किसी शुभ मुहूर्त में दक्षिणावर्ती शंख को गंगाजल, गोघृत, कच्चा दूध, मधु, गुड़ आदि से अभिषेक करके अपने पूजा स्थल में लाल कपड़े के आसन पर स्थापित कर लीजिए, इससे लक्ष्मी का चिर स्थायी वास बना रहेगा। प्रतिदिन उसके सामने बैठकर इस मंत्र का जाप करें- ‘ॐ श्री लक्ष्मी सहोदराय नम:’

प्रतिदिन इस मंत्र का कम से कम पांच बार जाप करें, कमाई से लेकर शोहरत तक के मौके मिलेंगे, आर्थिक अभाव दूर होंगे।

दक्षिणवर्ती शंख को तिजोरी में रखने से धन, रसोई घर में रखने से अन्न और वस्त्र-संग्रह में रखने से पदार्थों में वृद्धि होती है।

बेडरूम में इसे स्थापित करने से तन-मन शांत रहता है और सकारात्मकता का संचार होता है। 

दक्षिणवर्ती शंख में स्वच्छ जल भरकर जिस स्थान पर छिड़का जाता है, वहां से हर तरह की बुराई का नाश होता है। किसी भी तरह की ऊपरी शक्ति अपना प्रभाव नहीं जमा पाती।


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