श्मशान में शव जलाने की जगह नहीं; ऑक्सीजन, इंजेक्शन की किल्लत, सरकार कर क्या रही है ?

इंदौर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के इलाज में आ रही परेशानी, ऑक्सीजन, इंजेक्शन की कालाबाजारी सहित अन्य समस्याओं को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर गुरुवार को हाई कोर्ट में तीन घंटे तक वर्चुअल सुनवाई हुई। कोरोना मरीजों को इलाज नहीं मिलने, उनके परिजन को दवाओं और ऑक्सीजन के लिए भटकने की विवशता को कोर्ट ने गंभीरता से लिया और इनके इंतजाम के लिए िकए जा रहे प्रयासों के साथ ही दो टूक पूछा कि वैक्सीनेशन पर सरकार की क्या प्लानिंग है? अभी तो केवल सरकारी शिविरों में ही वैक्सीजन लग रहे हैं।

चीफ जस्टिस मो. रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की खंडपीठ ने इंदौर के अधिवक्ता मनीष यादव की जुलाई में दायर की गई अर्जी सहित ग्वालियर और जबलपुर में दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई की। अब 17 मई को अगली सुनवाई की जाएगी। हालांकि कोर्ट ने तो दो दिन में ही रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन सरकार की तरफ से और समय मांग लिया गया।

चीफ जस्टिस ने पूछे महाधिवक्ता से सवाल

चीफ जस्टिस- अखबार में पढ़ रहे हैं कि श्मशान, कब्रिस्तान में जगह नहीं बची है, अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं

सरकार- सरकार इंतजाम कर रही है। सभी जिलों में बेड बढ़ाए हैं। ऑक्सीजन की आपूर्ति जारी है। स्थिति नियंत्रण में आ रही है।

चीफ जस्टिस- परिजन को ऑक्सीजन व रेमडेसिविर के लिए भटकना क्यों पड़ रहा है?

सरकार- ऑक्सीजन की कमी अब पूरी हो गई है। इंजेक्शन पर किसी तरह का सरकारी नियंत्रण नहीं है। कालाबाजारी रुकवाई है।

चीफ जस्टिस- सरकार वैक्सीनेशन, ऑक्सीजन पर दो दिन में रिपोर्ट दे। हम फिर सुनवाई करेंगे

सरकार- दो दिन में रिपोर्ट देना संभव नहीं है। प्रदेशभर में व्यवस्था की जा रही है। जवाब के लिए और समय दिया जाए।

चीफ जस्टिस- आगामी 17 मई तक पूरा प्लान चाहिए। इसी दिन मामले की अगली सुनवाई की जाएगी।

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