सबूत नहीं माना जाएगा वॉट्सऐप पोस्टः कोर्ट

नई दिल्ली
वॉट्सऐप पर शेयर किए गए किसी पोस्ट को दस्तावेज नहीं माना जाएगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई के दौरान यह बात कही। कोर्ट ने साथ ही कहा कि इसे तब तक दस्तावेज नहीं माना जाएगा जब तक उसकी ऑरिजनल कॉपी पेश नहीं की जाती।

दरअसल, अरुणाचल प्रदेश के पूर्व सीएम कलिखो पुल की कथित खुदकुशी मामले में याचिका दायर कर राज्य, वहां की पुलिस और सीबीआई के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव सचदेवा ने यह बात कही। पुल का शव पिछले साल 9 अगस्त को मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर पाया गया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं (नैशनल लॉयर्स कैम्पेन फॉर जुडिशल ट्रांसपैरंसी व अन्य), से सूचना का स्रोत पूछा। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि उन्हें यह जानकारी वॉट्सऐप पोस्ट से मिली थी।

इसके बाद कोर्ट ने कहा, 'वॉट्सऐप पोस्ट भेजने वाले का न नाम बताया गया है, न ही याचिकाकर्ता को सीधे यह पोस्ट भेजा गया है। याचिकाकर्ता वॉट्सऐप ग्रुप पर आए एक मेसेज के जरिए गंभीर आरोप लगा रहे हैं।' याचिकाकर्ता के मुताबिक, यह कथित रूप से सूइसाइड नोट है और हिंदी के नोट को अंग्रेजी में अनुवाद कर वॉट्सऐप पर शेयर किया गया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि यह दस्तावेज एक वेबसाइट से लिए गए हैं जिसमें यह दावा किया गया था कि सूइसाइड नोट को हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है।

हालांकि, याचिकाकर्ता वास्तविक सूइसाइड नोट पेश करने में विफल रहे। इसके बाद कोर्ट ने कहा, 'मौजूदा केस में याचिकाकर्ता इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि उनके पास कोई गुप्त जानकारी नहीं है। कथित सूचना का वे सच होने का भी दावा नहीं कर रहे हैं।' एविडेंस ऐक्ट 1872 के मुताबिक, वॉट्सऐप पोस्ट को दस्तावेज नहीं माना जाता। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए याचिककर्ताओं पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

Leave a Reply