सीएजी ने नीतीश के ‘सात निश्चय’ पर उठाये सवाल, राशि खर्च करने में भी फिसड्डी रही सरकार

सीएजी की रिपोर्ट ने बिहार में मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजना पर सवाल खड़ा किया है. बिहार विधान सभा के पटल पर रखे गये इस रिपोर्ट में कई वित्तीय अनियमितताओं के साथ ये खुलासा किया गया है कि 2015-16 के बजट की लगभग 35 प्रतिशत राशि बिहार में खर्च ही नहीं की गयी.

सीएम नीतीश कुमार के सात निश्चयों में से एक निश्चय हर घर जल का नल योजना का सीएजी के एक वर्ष का सर्वे कराया जिसमें पाया गया कि योजना के एक वर्ष बीत जाने के बाद भी कार्य प्रारंभ भी नहीं कराया जा सका है. महालेखा परीक्षक धर्मेन्द्र कुमार ने सीएजी रिपोर्ट को लेकर पत्रकारों को संबोधित किया.

रिपोर्ट के कुछ मुख्य तथ्यों पर एक नजर ड़ालते हैं .

1. बिहार राज्य जल विद्युत् निगम लिमिटेड के वित्तीय कुप्रबंधन के कारण 2011 -16 के बीच 147.66 करोड़ की हानि.

2.साउथ बिहार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी की त्रुटिपूर्ण आतंरिक नियंत्रण प्रणाली की वजह से 3.20 करोड़ के राजस्व की हानि.

3.नार्थ बिहार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी द्वारा उपभोक्ताओं के अनुचित वर्गीकरण के कारण 5.55 करोड़ के राजस्व की हानि.

4.बिहार राज्य पथ विकास निगम ने अनुबंध के प्रावधानों का उलंघन कर संवेदकों को छूट देने से 1.66 करोड़ राजस्व की यानि

5. पटना में वाहन प्रदूषण में भारी वृद्धि. पटना विश्व का छठा सबसे प्रदूषित शहर.

6. पाइप जलापूर्ति योजना बिहार में बुरी तरह फेल. राज्य के केवल 6 प्रतिशत जनसंख्या को ही पाइप जलापूर्ति उपलब्ध.

7. मध्याह्न भोजन योजना की बड़ी विफलता उजागर .33 से 57 प्रतिशत नामांकित बच्चे मध्याह्न भोजन से वंचित रहे.

8. बिहार सरकार के कार्यालयों के व्यक्तिगत जमा खातो में 4126.37करोड़ की राशि पड़ी रही.

सीएजी की रिपोर्ट की एक जो अहम बात है वो ये है कि 2015- 16 के बजट का लगभग 35 प्रतिशत राशि सरकार खर्च करने में नाकाम रही है. बजट का 35 हजार 13 करोड रुपया खर्च ही नहीं हुआ है जबकि 25 हजार करोड रुपया सरेंडर हुआ है.  इस रिपोर्ट ने विपक्ष को सरकार पर हमले के कई हथियार सौंप दिए हैं .

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