सीबीआई करेगी ‘भगवान राम’ के जमीन घोटाले की जांच, हाई कोर्ट ने दिया आदेश

रांची में भगवान राम की जमीन के घोटाले की जांच अब सीबीआई करेगी. बुधवार को झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस पीके मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने श्रीराम जानकी तपोवन मंदिर ट्रस्ट की जमीन को हस्तांतरण व बेचने को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई की करते हुए इस मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया.

आजादी के कुछ साल पहले भक्तों ने भगवान राम को रांची के विभिन्न इलाकों में बतौर उपहार जमीन दी थी. इसकी देख रेख के लिए श्रीराम जानकी तपोवन मंदिर ट्रस्ट बनाया गया. ट्रस्ट पर आरोप है कि झारखंड गठन के बाद बायलॉज में छेड़छाड़ कर मंहगी जमीन बेच दी.

अधिवक्ता राजेंद्र कृष्णा ने बताया कि तपोवन मंदिर की जमीन को लेकर अतिश कुमार सिंह ने कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी. इसमें कहा गया था कि शहर में स्थिति मंदिर की जमीन को ट्रस्ट ने बेच दिया है. याचिका में कोर्ट से श्रीराम जानकी तपोवन मंदिर की जमीन के सेल व हस्तांतरण को रद्द करने की मांग की गई थी.

अधिवक्ता राजेंद्र कृष्णा ने बताया कि श्रीराम जानकी तपोवन मंदिर की संपत्ति की देखरेख के लिए तीन बार ट्रस्ट बनाया गया. सबसे पहला 1948 में बना. दूसरा 1971 में बना, जबकि तीसरा ट्रस्ट 2005 में बना. 1948 में बने ट्रस्ट में यह प्रावधान रखा गया कि मंदिर की जमीन बेची नहीं जा सकती है.

1971 में पुराने प्रावधान को मजबूती प्रदान करते हुए प्रस्ताव लाया गया कि मंदिर की संपत्ति को न तो बेची जा सकती है और न ही हस्तांतरित की जा सकती है. लेकिन 2005 में बने ट्रस्ट ने नया प्रस्ताव लाया कि मंदिर की जमीन को कनवर्जन करके बेच सकते हैं. 1948 के डीड के अनुसार शहर में मंदिर की जमीन करीब 16 एकड़ थी लेकिन 2005 के डीड के अनुसार यह जमीन मात्र 6.43 एकड़ ही रह गई है.

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