सेबी का खुलासा, 5 विदेशी निवेशक ला रहे थे भारतीयों का कालाधन

विदेशों से काली कमाई को भारत लाने के लिए पी-नोट के जरिए निवेश की सुविधा का कथित तौर पर दुरुपयोग किए जाने के खिलाफ कार्रवाई में बाजार नियामक सेबी ने पांच विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारतीय नागरिकों को पी-नोट जारी किए जाने के मामले पकड़े हैं. पी-नोट पंजीकृत निवेशकों द्वारा ऐसे विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं जो भारत में पंजीकरण कराने की जहमत से बचना चाहते है.

पी-नोट भारतीय बाजार की प्रतिभूतियों के आधार पर विदेश में जारी किए जाते हैं. इसके अलावा भारत में पंजीकृत चार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने ऐसे विदेशी नागरिकों को पी-नोट जारी किए हैं जिनके नाम भारतीय जैसे लगते हैं. सेबी ने उनसे पूछा है कि वे प्रवासी भारतीय (एनआरआई) या भारतीय मूल के विदेशी नागरिक पीआईओ तो नहीं हैं. सेबी इसका ब्योरा मिलने के बाद इस मामले में आगे कार्रवाई करेगा.

भारतीय प्रतिभूतियों को आधार बना कर विदेशों में जारी हुंडियों (डेरिवेटिव उत्पादों) के मामले में सेबी ने नियमों को कड़ा किया है ताकि इसके विदेश से कालाधन लाने का जरिया न बनाया जा सके. एक समय पी-नोट विदेशों से पोर्टफोलियो निवेश का बड़ा ही आकर्षक जरिया बन गए थे. लेकिन पिछले दस साल में भारत में पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों के कुल पोर्टफोलियो निवेश में पी-नोट के जरिए आया निवेश 56 फीसदी से घट कर 7 फीसदी से भी कम रह गया है. कालेधन की जांच को गठित समति ने भी पी-नोट से जुड़े निवेश पर सख्ती के लिए कहा था.

सेबी ने पी-नोट निवेश के असली लाभ प्राप्तकर्ताओं के बारे में सरकार को सूचनाएं दी हैं. भारतीय नागरिकों को पी-नोट जारी करने वाले विदेशी संस्थागत निवेशकों में अमेरिका, स्विट्जरलैंड और आस्ट्रेलिया के बड़े वैश्विक बैंकों की अनुषंगी कंपनियां हैं. सेबी ने उन्हें ऐसे ग्राहकों को और पी-नोट जारी करने से मना कर दिया गया है तथा 31 दिसंबर 2020 तक उनके पूरे निवेश को नक्की करने को कहा है.

सरकार को दी गयी सूचना के अनुसार अब भी दस विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक रह गए हैं जिन्होंने उनके द्वारा जारी पी-नोट के असली लाभार्थियों के बारे में जानकारी नहीं दी है. उन्हें 31 मार्च 2017 तक संबंधित सूचना देने को कहा गया है. सेबी को पी-नोट के वास्तविक लाभार्थियों के बारे में सूचनाए नवंबर 2016 से मिलनी शुरू हुईं और उसने पीनोट जारी करने वाले 38 पंजीकृत विदेशी संस्थानों (एफपीआई) से मिली सूचना का विश्लेषण किया है.

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