हाई कोर्ट ने बीएसएफ जवान की पत्नी को उससे मिलने की इजाजत दी

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केन्द्र को निर्देश दिया कि सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करके जवानों को खराब गुणवत्ता वाला भोजन दिए जाने का आरोप लगाने वाले सीमा सुरक्षा बल के जवान की पत्नी को उससे मिलने और इस समय उसकी तैनाती वाले स्थान पर उसके साथ दो दिन रहने की अनुमति दी जाए।

न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने यह निदेर्श उस समय दिया जब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने अदालत को सूचित किया कि सीमा सुरक्षा के जवान तेज बहादुर यादव को किसी भी तरह से अवैध तरीके से रोक कर नहीं रखा गया है और उसे दूसरे मुख्यालय- जम्मू के सांबा कालिबारी में 88 वीं बटालियन मुख्यालय में भेज दिया गया है।

इस कथन का संज्ञान लेते हुए पीठ ने कहा कि अगर पत्नी को डर है कि उसके पति को खतरा है तो, उसे और उनके बेटे को जवान से मिलने की इजाजत दी जाए। इसमें यह भी कहा कि हमें किसी भी तरह के तर्क में नहीं पड़ना चाहिए। पत्नी को उससे मुलाकात की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि विवाद थम सके।

पीठ ने केंद्र और बीएसएफ की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को आगे निर्देश दिया कि पत्नी को उसके पति के साथ मिलने की हर मुमकिन व्यवस्था की जानी चाहिए और जब वहां जाएं तो उन्हें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

अदालत ने सुरक्षा बल के जवान की पत्नी की बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका पर यह निर्देश दिया। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि उसका पति तेज बहादुर यादव लापता है और उनका परिवार उनसे पिछले तीन दिनों से संपर्क नहीं कर पाया है। जवान की पत्नी की ओर से पेश हुए वकील मनीष तिवारी ने कहा कि सात फरवरी से पत्नी की अपने पति के साथ बातचीत नहीं हो पायी है और बीएसएफ प्रमुख ने भी इस संबंध में परिवार को कोई जवाब नहीं दिया।

यहां तक कि उन्हें यादव के खिलाफ सोशल मीडिया पर वायरल हुए उसके कथित वीडियो के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई के बारे में भी सूचित नहीं किया गया। यादव ने नौ जनवरी को फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट किया था। वीडियो में खाने का एक डिब्बा दिखाया गया था जिसमें पानी जैसी दाल और एक जली हुई रोटी थी। यादव ने कहा था कि इस दाल में केवल हल्दी और नमक है।

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