17 प्रोफेशनल्स के जिम्मे होगा प्रचार अभियान; हर जोन की अलग टीम, प्रत्येक पर सालाना खर्च 2 करोड़ रु.

रेलवे ने अपने प्रचार अभियान (पब्लिसिटी कैंपेन) को नया कलेवर देने के लिए 17 प्राइवेट प्रोफेशनल्स को हायर करने का फैसला लिया है। हर जोन के लिए एक टीम बनाई जा रही है, जिसमें टीम लीडर के साथ सोशल मीडिया मैनेजर, कंटेंट एनालिस्ट, कंटेंट राइटर और वीडियो एडिटर जैसे अन्य तकनीकी विशेषज्ञ भी शामिल होंगे। एक टीम पर सालाना दो करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।

फिलहाल पब्लिसिटी कैंपेन के लिए 18 जोनों में 70 अधिकारी काम कर रहे हैं। रेलवे के चीफ पब्लिक रिलेशंस ऑफिसर (सीपीआरओ) इन सभी को दिशानिर्देश जारी करते हैं। अपने-अपने जोन में ये सारे प्राइवेट प्रोफेशनल्स सीपीआरओ को रिपोर्ट करेंगे।

टीमें मीडिया रिपोर्ट्स का आकलन भी करेंगी
एक अधिकारी का कहना है कि रेलवे अभी प्राइवेट एजेंसियों से पब्लिसिटी कैंपेन का काम करवाता रहा है, लेकिन अब इस प्रक्रिया को नया रूप दिया जा रहा है। ये टीमें सोशल मीडिया को हैंडल करेंगी। कवरेज में मीडिया की सहायता करने के साथ टीमें मीडिया रिपोर्ट्स का आकलन भी करेंगी।

अफसर ने यह भी बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अगर रेलवे से जुड़ी कोई शिकायत मिलती है तो ये टीमें उसके निराकरण में भी अपनी भूमिका अदा करेंगी। सभी टीमों को अपने कामकाज की मासिक और तिमाही रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों को देनी होगी।

अपने-अपने जोन में एक डेशबोर्ड भी बनाना होगा
टीमों को अपने जोन में एक डैशबोर्ड बनाने का काम भी करना होगा। इस डैशबोर्ड में नए न्यूज आर्टिकल और टीवी पर चलने वाली क्लिपें ऑनलाइन मौजूद रहेंगी। डैशबोर्ड बनाने के काम में प्रत्येक टीम का खर्च तीन से पांच लाख रुपए रहने की संभावना है।

रेलवे के एक अधिकारी का कहना है कि अभी तक जो अधिकारी पब्लिसिटी का काम देख रहे हैं, वे रेलवे से जुड़े हैं। सोशल मीडिया को लेकर उनके पास कोई विशेष अनुभव नहीं होता। प्राइवेट प्रोफेशनल्स फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्म के लिए रणनीति भी तैयार करेंगे।

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