26 घंटे तक चला रेस्क्यू ऑपरेशन, 5 में से सिर्फ 3 नेपाली छात्र बचे जिंदा

हिमाचल प्रदेश की मनीकर्ण घाटी के मलाणा रशोल की पहाड़ियों में फंसे पांच नेपाली छात्रों को जिला प्रशासन की टीम आखिरकार 26 घंटे बाद रेस्क्यू करने में कामयाब रही. हालांकि, इनमें से दो की जान नहीं बचाई जा सकी. रेस्क्यू किए गए छात्रों को सड़क तक लाने में टीम को तकरीबन 10 घंटे मशक्कत करनी पड़ी.

जानकारी के अनुसार, 2 अप्रैल की शाम नेपाली मूल के पांच छात्र दिल्ली से कुल्लू पहुंचे थे. यहां से 5 अप्रैल को पांचों छात्र रशोल होते हुए मलाणा की ओर ट्रैकिंग पर निकल गए. इस दौरान रास्ते में अचानक मौसम खराब होने से छात्र रास्ता भटक गए.

इनमें से एक छात्र ने 5 अप्रैल की शाम करीब साढ़े सात बजे 100 नंबर पर कॉल कर खुद के फंसे होने की सूचना पुलिस को दी. छात्रों की सूचना पर पुलिस प्रशासन ने 5 अप्रैल की रात करीब आठ बजे एक रेस्क्यू टीम रवाना की. टीम रातभर छात्रों को ढूंढ़ती रही, लेकिन छात्रों को ट्रैक नहीं किया जा सका.

टीम को 10 घंटे  बाद मिली कामयाबी

अगले दिन फिर पुलिस ने छात्रों की तलाश शुरू की और आखिरकार 6 अप्रैल को दोपहर करीब साढ़े बारह बजे पांचों को ट्रैक कर रेस्क्यू शुरू किया गया. इस दौरान मौसम की खराबी रेस्क्यू अभियान में बाधा बनी रही, लेकिन 10 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद टीम छात्रों को सड़क तक लाने में कामयाब रही. जिला प्रशासन के निर्देश पर डॉक्टर्स और पैरा मेडिकल स्टाफ अलर्ट पर था.

पांचों छात्रों की हालत ठंड से खराब हो गई थी. पांचों को प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने कुल्लू रेफर कर दिया, जहां 20 वर्षीय संतोष अय्यर और विप्रा पोखरेला ने हाइपोथर्मिया के चलते दम तोड़ दिया.

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