BSF की परेशानी: 9 महीने में 3100 जवानों ने लिया VRS

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में बीते साल नौ महीनों में तीन हजार से ज्यादा जवानों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ली है। वहीं, कई बिना बताए चले गए। 293 जवानों ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। 59 जवानों को अनुशासनहीनता या संदिग्ध गतिविधियों की वजह से कार्यमुक्त कर दिया गया। 

यह आंकड़े वर्ष 2016 में अप्रैल से दिसंबर तक की अवधि के हैं। इनसे साफ है कि देश के अर्द्धसैन्य बल अंदरूनी तौर पर कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं। हर साल अकेले बीएसएफ में पांच से छह हजार श्रम बल (मैन पॉवर) किसी न किसी वजह से बेकार चली जाती है। बढ़ता तनाव, सुविधाओं की कमी जवानों की नौकरी छोड़ने की बड़ी वजहों में शामिल है। 

शिकायतों पर गिरी गाज – 
जिन जवानों या अधिकारियों को कार्यमुक्त किया गया है, उनके खिलाफ कई स्तरों पर शिकायतें मिली थीं। कुछ जवान बिना बताए घर चले गए और वापस नहीं आए। कुछ जवानों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से बुरा बर्ताव किया। कुछ जवानों ने अपनी ड्यूटी से समझौता किया, जबकि तस्करों से मिलीभगत के आरोप में कुछ जवानों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी।

आत्महत्या भी कर रहे जवान –
सूत्रों ने कहा कि हर वर्ष सीआईएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, बीएसएफ, असम राइफल्स जैसे अर्द्धसैन्य बलों को मिलाकर सौ से ज्यादा जवान आत्महत्या कर लेते हैं। बीएसएफ में बीते साल 439 जवानों की या तो ड्यूटी के दौरान मौत हो गई या उनका पता ही नहीं चला। बीस जवानों को बीमारियों की वजह से मेडिकल बोर्ड से आउट किया गया। 

कैसा है अन्य अर्द्धसैनिक बलों का हाल

सभी अर्द्धसैन्य बलों का एक जैसा हाल – 
सभी अर्द्धसैन्य बलों की स्थिति लगभग एक जैसी है। सीआरपीएफ में वर्ष 2013 में 3519 जवानों ने वीआरएस लिया। 600 से ज्यादा ने इस्तीफा दे दिया था। बीएसएफ में 502 ने इस्तीफा दे दिया था और 3475 ने वीआरएस लिया। आईटीबीपी में 121 ने इस्तीफा दिया 282 ने वालिंटियर रिटायरमेंट लिया। सीआईएसएफ में 676 ने इस्तीफा दिया 930 ने वालिंटियर रिटयारमेंट ले लिया। वर्ष 2009 से वर्ष 2012 के बीच करीब 44 हजार जवानों ने नौकरी छोड़ी थी। वर्ष 2014 में सभी सैन्य बलों को मिलाकर 7700 के करीब लोगों ने नौकरी छोड़ी। वर्ष 2015 में आंकड़ा आठ हजार के करीब रहा।

पूर्व एडीजी ने वजहें बताईं – 
पूर्व एडीजी पीके मिश्र ने कहा कि एक कांस्टेबल 10 से 11 घंटे तक बिना आराम के कठिन हालात में ड्यूटी करता है। उसे बीस साल तक कोई प्रमोशन नहीं मिलता। पेंशन का इंतजाम नहीं है। पूरी नौकरी में पीस पोस्टिंग (शांत क्षेत्र में तैनाती) नहीं मिलती। उसके परिवार के लिए कोई आवास की व्यवस्था नहीं है। समय से छुट्टी नहीं मिलती। मृत्यु होने पर शहीद का दर्जा नहीं मिलता। रिजर्व बटालियन को सीमा पर प्रशिक्षण नहीं मिल रहा है, जिससे सीमा पर ड्यूटी कर रहे जवानों को आराम मिले। बटालियन की संख्या नहीं बढ़ाई जा रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे विपरीत हालात में वह नौकरी छोड़कर क्यों नहीं जाएगा। 

किन हालातों में करते हैं नौकरी – 
कभी माइनस चालीस (-40) डिग्री की बर्फ जमाने वाली ठंडी तो कभी 50 डिग्री की तपाने वाली गर्मी। संवेदनशील पाक व बांग्लादेश से सटी सीमा पर चौकसी, दुश्मनों से लोहा लेकर घुसपैठ रोकना, नक्सलियों के गढ़ में जिंदगी दांव पर लगाकर बारह-बारह घंटे ऑपरेशन में हिस्सा लेना, जवानों को ऐसी कठिन ड्यूटी करनी होती है।

Leave a Reply