J&K: आतंक के लिए चैरिटी से जुटा रहे धन

पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन चैरिटी के जरिए जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को मुहैया कराते हैं धन

एनआईए के एक अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन अपने चैरिटी संगठनों के मार्फत करोड़ों रुपये का चंदा जुटा कर जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को धन मुहैया कराते हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के पुलिस अधीक्षक अतुल गोयल ने कहा कि आतंकी संगठन जमात उद दावा (जेयूडी) और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) द्वारा संचालित 'फलह ए इंसानियत फाउंडेशन' (एफआईएफ) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) द्वारा समर्थित अल रहमत ट्रस्ट (एआईटी) कश्मीर में आतंकवाद का समर्थन कर रहा है और कोष मुहैया कर रहा है।

गोयल ने कहा कि एनआईए जेयूडी, एलईटी और जेईएम की गतिविधियों तथा पड़ोसी देश में उससे संबद्ध ट्रस्टों के कामकाज पर भी गौर कर रहा है। उन्होंने कहा कि ये संगठन पाकिस्तान के लोगों से चंदा जुटाते हैं और फिर उसे अपने जमीनी कार्यकर्ताओं के मार्फत कश्मीर में आतंकवाद को धन मुहैया करते हैं। उन्होंने 19 वें एशियाई सुरक्षा सम्मेलन में यह कहा। सत्र की अध्यक्षता पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई ने की।

अधिकारी ने बताया कि अल रहमत ट्रस्ट ईद के दौरान पशुओं की कुर्बानी देने के लिए कोष जुटाने को लेकर पर्चे बांटता है और धन जुटाने के बाद वे लोग आतंकवाद को पोषित करते हैं। गोयल ने कहा कि पाकिस्तान में तेजी से बढ़ते एनजीओ एफआईएफ भी लोगों से धन जुटाता है और उसका इस्तेमाल आतंकवादियों को मुहैया करने में करता है। उन्होंने कहा, 'जेयूडी प्रमुख हाफिज सईद ने एफआईएफ के स्वयंसेवियों को संबोधित किया। उनके पास लोगों का एक पूरा नेटवर्क है जो कश्मीर में आतंकवाद के लिए अपने अजेंडे पर काम करते हैं।'

गोयल ने कहा कि ये संगठन मस्जिदों के बाहर धन एकत्र करने में शामिल हैं। अधिकारी ने दावा किया कि प्राधिकारों के पास एक विडियो है जिसमें दो लोगों को कराची में एक मस्जिद के बाहर पाकिस्तान रेंजर्स की मौजूदगी में लोगों से धन एकत्र करते देखा जा सकता है। ये संगठन प्राकृतिक आपदाओं और त्योहारों के दौरान विशेष अभियान चलाते हैं और धन एकत्र करते हैं। गोयल ने बताया कि जेयूडी ईद के दौरान स्वैच्छिक दान मांगता है।

तहरीक-ए-आजादी जम्मू कश्मीर के नाम से एफआईएफ अभियान चलाता है और अवैध रूप से चंदा मांगता है। ऐसी घटनाएं अक्सर ही वहां स्थानीय मीडिया में प्रकाशित या प्रसारित होती हैं। एफआईएफ ऑनलाइन कोष भी मांगता है। अधिकारी ने बताया कि संभवत: वे लोग समाज सेवा के नाम पर लोगों से करोड़ों डॉलर चंदा पाते हैं। साल 2012 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कश्मीर में आतंकवाद को कोष मुहैया करने के लिए 78 करोड़ पाकिस्तानी रुपये जमा किए गए थे। उन्होंने बताया कि ये संगठन स्कूल जैसे लाभ कमाने वाले व्यवसाय भी चलाते हैं जहां दक्षिण एशिया की तुलना में फीस बहुत ज्यादा है। उनका लक्षित वर्ग उच्च मध्य वर्ग है।

Leave a Reply