J&K: पैलेट गन बैन पर SC ने कहा- पहले पत्थरबाजी रोकने का हल बताएं

नई दिल्लीः सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह जम्मू-कश्मीर के संकट को सुलझाने के लिए वहां के मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से वार्ता के लिए तैयार है परंतु अलगाववादियों के साथ नहीं। अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दो टूक शब्दों में कहा कि सरकार वार्ता की मेज पर तभी आएगी जब मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल इसमें शिरकत करेंगे न कि अलगाववादी तत्व। प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष यह दावा किया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के इस दावे को खारिज किया कि केन्द्र संकट को सुलझाने के इरादे से वार्ता के लिए आगे नहीं आ रहा है।

पहले पत्थरबाजी रोकने के उपाय ढूंढें
रोहतगी ने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री और राज्य की मुख्यमंत्री के बीच बैठक हुई थी जिसमें मौजूदा हालात पर चर्चा हुई थी। पीठ ने बार एसोसिएशन से कहा कि पत्थरबाजी और कश्मीर घाटी में सड़कों पर हिंसक आंदोलन सहित इस संकट को हल करने के बारे में वह अपने सुझाव पेश करे। शीर्ष अदालत ने बार से यह भी स्पष्ट किया कि उसे इसके सभी पक्षकारों से बातचीत के बाद अपने सुझाव देने होंगे और वह यह कह कर नहीं बच सकती कि वह कश्मीर में सभी का प्रतिनिधित्व नहीं कर रही है। न्यायालय ने कहा कि एक सकारात्मक पहल शुरू करने की आवश्यकता है और बार जैसी संस्था घाटी में स्थिति सामान्य करने के लिए एक योजना पेश करके इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। पीठ ने केन्द्र को भी स्पष्ट कर दिया है कि न्यायालय इस मामले में खुद को तभी शामिल करेगा जब एेसा लगता हो कि वह एक भूमिका निभा सकता है और इसमें अधिकार क्षेत्र का कोई मुद्दा नहीं हो।

तो बंद कर देते हैं फाइल
न्यायालय ने अटार्नी जनरल से कहा, ‘‘यदि आपको लगता है कि न्यायालय की कोई भूमिका नहीं है या आपको लगता है कि यह हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है तो हम इसी क्षण इस फाइल को बंद कर देंगे। पीठ ने यह टिप्पाी उस समय की जब सुनवाई के अंतिम क्षणों में अटार्नी जनरल ने बार द्वारा दिए गए कुछ सुझावों पर आपत्ति की। इसमें अलगाववादियों को नजरअंदाज किया जाना भी शामिल है। पीठ ने यह भी कहा कि दोनों पक्षों को संयुक्त कदम उठाना चाहिए परंतु पहला कदम तो वकीलों की संस्था की आेर से ही आना चाहिए जो शीर्ष न्यायालय आई है। पीठ ने इस मामले की सुनवाई नौ मई के लिए स्थगित करते हुए यह भी कहा कि वह इस तथ्य से परिचित है कि कश्मीर घाटी में स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। शीर्ष अदालत जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की अपील पर सुनवाई कर रही थी। बार एसोसिएशन ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए घाटी में पत्थरबाजों पर पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने का अनुरोध किया है।

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