J&K: बदतर हो रहे हालात, सड़कों पर हथियारों संग खुलेआम घूम रहे आतंकी

जम्मू-कश्मीर में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। हिजबुल आतंकी बुरहान वानी के एनकाउंटर को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद हाल में चुनावों के दौरान भी बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। अब खबरें हैं कि आतंकी संगठनों में शामिल बहुत सारे युवा दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले में सड़कों पर हथियारों के साथ खुलेआम घूम रहे हैं। ये वे लोग हैं, जिन्हें अब राज्य की शासन-व्यवस्था पर भरोसा नहीं रहा। ये युवा सुरक्षाबलों के लिए खासा सिरदर्द साबित हो रहे हैं। सुरक्षाकर्मी इनसे निपटने में खासी सावधानी बरत रहे हैं क्योंकि इन्हें स्थानीय लोगों का समर्थन हासिल है।

एक टॉप पुलिस अफसर ने मुंबई मिरर से बातचीत में बताया कि ये आतंकी शोपियां, कुलगाम, पुलवामा और अवंतीपोरा में खुलेआम घूम रहे हैं। मिरर के पास विडियो फुटेज और तस्वीरें हैं। इनमें शोपियां के एक बाग में बहुत सारे युवा एके-47 राइफलों के साथ नजर आ रहे हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि ये युवा लश्कर और हिजबुल जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े हुए हैं। बता दें कि बीते साल आठ जुलाई को बुरहान वानी के खात्मे के बाद घाटी के 200 से ज्यादा युवा आतंकी संगठनों में शामिल हो चुके हैं। जम्मू कश्मीर की पुलिस पूरे मामले पर चुप्पी बरते हुए है। पुलिस का सिर्फ यही कहना है कि वह लापता युवाओं के बारे में पता लगा रही है।

अफसर ने बताया, 'इन आतंकियों को सबसे बड़ा फायदा इस बात का मिल रहा है कि इन्हें दक्षिणी कश्मीर के इलाके में अच्छा-खासा जनसमर्थन हासिल है। स्थानीय लोग इन्हें खाना और आसरा देते हैं। एनकाउंटर वाली जगहों पर पथराव और प्रदर्शन की बढ़ती घटनाओं से इन आतंकियों को मिल रहे समर्थन की बात साबित होती है। ऐसी कई घटनाएं हुईं, जब स्थानीय लोगों ने सुरक्षा घेरा तोड़ने की कोशिश की।' वहीं, पुलिस सूत्रों का कहना है कि ये लोग छोटी-छोटी तादाद में एक जगह जुटकर लोगों को संबोधित कर रहे हैं। लोगों से 'आंदोलन के प्रति वफादार' होने की अपील की जा रही है। ऐसे ही एक कार्यक्रम में स्थानीय लोगों से अपील की गई कि वे अलगाववादी संगठनों की ओर से तय किए विरोध-प्रदर्शनों में शिरकत करें।

एक टॉप पुलिस अफसर ने माना कि दक्षिण कश्मीर में हालात बेहद खराब हैं। उन्होंने कहा, 'अब ऐक्शन लेने का वक्त आ गया है। 90 के दशक से आज के हालात की तुलना की जाए तो आतंकवाद से जुड़ने वाले लोगों की वैचारिक धारणा पहले के मुकाबले ज्यादा मजबूत है। आतंकवादी और हुर्रियत नेता इन लोगों को बरगला रहे हैं और इनका सिस्टम पर से विश्वास खत्म हो रहा है। इसके अलावा, सोशल मीडिया के जरिए भी युवाओं को आतंकवाद से जुड़ने के लिए लुभाया जा रहा है।'

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