OBOR समिट के बायकॉट से झुंझलाया चीनी मीडिया, भारत पर लगाया ताकत दिखाने का आरोप

चीन के सरकारी अखबार ने दावा किया है कि भारत ने OBOR पर इसलिए आपत्ति दिखाई है ताकि वो क्षेत्रीय राजनीति में अपना महत्व कम न होने दे और दक्षिण एशिया के देशों पर अपना प्रभुत्व जारी रख सके।
 
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, भारत को लगता है कि वो ऐसा करके द्विपक्षीय संबंधों को मोड़ सकता है। लेकिन ऐसा नहीं होता है। अखबार ने आगे लिखा कि भारत को उम्मीद है कि चीन उसके ऊपर विशेष ध्यान देगा, लेकिन ऐसा है नहीं। 

भारत का OBOR पर जारी विरोध से किसी तरह का कोई फर्क नहीं पड़ा है और इसके लिए बीजिंग में चल रहे सम्मेलन और भाग ले रहे देशों में किसी प्रकार का कोई असर नहीं पड़ा है। 

भारत अपने आप को समझता है बड़ी पॉवर

अखबार के मुताबिक, भारत अपने आप को दक्षिण एशिया में बड़ी पॉवर समझता है और वो चीन के आगे किसी भी तरह से झुकना नहीं चाहता है। इसलिए वो हमेशा चीन से अपने आप को आगे दिखाना चाहता है।

ऑनलाइन लेख में ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, "यह अजीब बात है कि दर्शकों को खिलाड़ियों की अपेक्षा अधिक चिंतित हैं। हालांकि, भारत अपने पड़ोसी के कर्ज के बोझ की परवाह करता है, लेकिन पड़ोसी देशों में अधिक काम करने को तैयार हैं। "ग्लोबल टाइम्स के रिपोर्टर वांग जीआमी ने ये लेख लिखा है। हालांकि इस लेख को अखबार में नहीं छापा गया है।

गौरतलब है कि ओबीओआर की रविवार को हुई बैठक से भारत ने दूरी बना ली। हालांकि 65 देशों के राष्ट्राध्यक्षों और उनके प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। चीन इस बहाने भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश को भी साधने की मुहिम पर है।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को राजी किए बगैर चीन ओआरओबी से उतना लाभ नहीं उठा पाएगा जितना लाभ हासिल करने की उसने रणनीति बनाई है। यही कारण है कि चीन भारत के पड़ोसियों को साध कर दबाव बनाना चाहता है।

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