अब इन रूटों पर भी बुलेट ट्रेन चलाने की है तैयारी

मुंबई-अहमदाबाद के बाद इन रूटों पर बुलेट कॉरिडोर की तैयारी

नई दिल्ली
पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार देश में बुलेट ट्रेनों के संचालन को लेकर गंभीर दिखती है। कई बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट्स की फिजिबिलिटी स्टडी करने वाले हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (एचएसआरसी) ने दिल्ली-अमृतसर रूट की फिजिबिलिटी रिपोर्ट रेल मंत्रालय को सौंपी है। इसके अलावा दिल्ली-कोलकाता कॉरिडोर की ड्राफ्ट रिपोर्ट भी मिनिस्ट्री को सौंपी है। एचएसआरसी के सीईओ एम.पी. सिंह ने कहा, 'हमने 2021 तक दिल्ली-कोलकाता कॉरिडोर पर काम करने का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा कई अन्य लॉन्ग रूट्स पर भी प्रॉजेक्ट रिपोर्ट तैयार की गई है। निर्माण कार्य एक बार शुरू होने के बाद ऐसे कॉरिडोर्स को तैयार होने में 15 से 20 दिन का वक्त लगेगा।'

एचएसआरसी कई देशों के कंसल्टेंट्स के साथ मिलकर काम कर रहा है। एचएसआरसी की ओर से इस साल के अंत तक कई प्रॉजेक्ट्स की फिजिबिलिटी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपी जा सकती है। रेलवे ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट के लिए पहले ही नैशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन नाम से एक अलग कंपनी का गठन किया है। जानें, एचएसआरसी की ओर से किन हाई-स्पीड कॉरिडोर्स पर तेजी से चल रहा है काम।

दिल्ली-कोलकाता: 1,474 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर पर 11 स्टेशन होंगे- ग्रेटर नोएडा, अलीगढ़, लखनऊ, सुल्तानपुर, जौनपुर, वाराणसी, बक्सर, पटना, धनबाद, आसनसोल और बर्दवान। इस रूट पर बुलेट ट्रेन 5.54 घंटे में अपना सफर तय करेगी। एचएसआरसी ने मिनिस्ट्री को इस प्रॉजेक्ट की फाइनल ड्राफ्ट रिपोर्ट सौंप दी है। मंत्रालय के सुझावों के बाद अक्टूबर तक एचएसआसी फाइनल रिपोर्ट सौंपेगा। इस कॉरिडोर पर 2021 तक तक काम शुरू होने की संभावना है।

दिल्ली-मुंबई: यह मुंबई-अहमदाबाद कॉरिडोर के विस्तार जैसा होगा। इस कॉरिडोर के बीच गुड़गांव, जयपुर, उदयपुर, बड़ौदा और सूरत होंगे।

मुंबई-चेन्नै: इस प्रॉजेक्ट के तहत गोवा को भी जोड़ा जाएगा। इसके अलावा पुणे, बेंगलुरु और तिरुपति जैसे स्टेशन भी इस रूट पर होंगे।

मुंबई-नागपुर: इस प्रॉजेक्ट की फाइनल रिपोर्ट अक्टूबर तक सौंपी जा सकती है। इस रूट पर नासिक, औरंगाबाद, अकोला और अमरावती स्टेशन होगा।

दिल्ली-अमृतसर: इस रूट पर तीन स्टेशन होंगे- चंडीगढ़, पानीपत और अंबाला होंगे। इस रूट पर 458 किलोमीटर की दूरी को बुलेट ट्रेन 2:30 घंटे में तय करेगी। यह मौजूदा एक्सप्रेस ट्रेनों के मुकाबले 4 घंटे तक कम होगा।

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