अयोध्या विवाद सुनवाई : राजीव धवन ने कहा- सिर्फ मुस्लिम पक्ष से पूछे जा रहे सवाल

अयोध्या. दशहरे की छुट्टी के बाद शुरू हुई अयोध्या (Ayodhya) रामजन्मभूमि (Ram Janambhoomi) और बाबरी मस्जिद (Babri Mosque) प्रॉपर्टी विवाद (Property Dispute) की सुनवाई के दौरान सोमवार को मुस्लिम पक्ष (Muslim Side) के वकील राजीव धवन (Rajeev Dhawan) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संवैधानिक बेंच के समक्ष कहा कि यह विचित्र बात है कि सिर्फ मुस्लिम पक्षकारों से ही सवाल पूछे जा रहे हैं. राजीव धवन ने कहा कि हिंदू पक्ष से कोई सवाल नहीं किया जा रहा. बता दें दशकों पुराने इस विवाद की सुनवाई का यह आखिरी सप्ताह है. कोर्ट इस मामले में 17 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी करने का निर्देश दे चुका है.

सोमवार को बहस को आगे बढ़ाते हुए वकील राजीव धवन ने कहा, "दिलचस्प बात ये है कि इस केस की सुनवाई के दौरान सभी सवाल हमसे ( मुस्लिम पक्ष) ही किए जाते हैं. कभी हिंदू पक्ष से सवाल नहीं किया जाता. सुनवाई के दौरान यह बहुत विचित्र बात हुई है"

एएसआई रिपोर्ट में मंदिर गिराने का जिक्र नहीं
राजीव धवन ने आगे कहा कि पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट में किसी मंदिर के ध्वस्त करने की बात नहीं कही गई है. धवन ने कहा कि ताला खुलने के बाद भी हिंदुओं का वहां पर कब्ज़ा नहीं रहा है. हिंदुओं के पास सिर्फ पूजा का अधिकार रहा है. धवन ने दलील देते हुए कहा, "पुरातत्व एक विज्ञान है. ये कोई विचार नहीं है. पुरातत्व विभाग का जो नोट सबूत के तौर पर कोर्ट ने स्वीकार किया, उसे कोर्ट द्वारा परखा जाना और एएसआई द्वारा उसकी सत्यता साबित किया जाना जरूरी है. इसे मुस्लिम पक्षकारों ने नकारा है."

किस्से-कहानियों के ज़रिए दावा किया जा रहा है
धवन ने आगे कहा, " यहां किस्से कहानियों के ज़रिए अपना दावा किया जा रहा है. मैं किसी यात्री की डायरी या श्रद्धा या विश्वास की बात नहीं करूंगा. मैं सीधे शब्दों में कहूंगा कि विवादित स्थल पर हिंदुओं का कभी कोई एब्सोल्यूट और एक्सक्लुसिव कब्ज़ा नहीं था. उनको बाहर सिर्फ पूजा का अधिकार था. किसी ने भी आज तक ये नहीं माना कि हिंदुओं का आंतरिक अहाते पर कब्ज़ा था."

मुस्लिम पक्ष के वकील धवन ने आगे कहा, "विवादित ज़मीन पर लगातार हमारा कब्जा रहा है. हिंदू पक्ष ने बहुत देर से दावा किया. 1989 से पहले हिंदू पक्ष ने कभी ज़मीन पर मालिकाना दावा पेश नहीं किया. 1986 में रामचबूतरे पर मंदिर बनाने की महंत धर्मदास की मांग को फैज़ाबाद कोर्ट खारिज कर चुका है.
इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने राजीव धवन से हिंदुओं के बाहरी अहाते पर कब्ज़े के बारे में पूछा. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि 1858 के बाद के दस्तावेजों से पता चलता है कि राम चबूतरा की स्थापना की गई थी, उनके पास अधिकार था.

मस्जिद पर अवैध कब्जा किया गया
धवन ने कहा कि 1885 से 1989 तक हिंदू पक्षकारों ने तो स्वामित्व का अधिकार ही नहीं मांगा. जबकि हमको सरकारी ग्रांट मिला. इससे ये साबित होता है कि हमारा अधिकार था. लेकिन मस्जिद पर अवैध कब्जा किया गया और उसके बावजूद उस पर कोई कार्रवाई नहीं कि गई. धवन ने अवैध कब्जे पर सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का भी हवाला दिया.

धवन ने कहा कि परंपरा और आस्था कोई दिमाग का खेल नहीं है. इन्हें अपने मुताबिक नहीं ढाला जा सकता है. राजीव धवन ने कहा कि अब तक जिन फैसलों का हिंदू पक्ष ने हवाला दिया है उनमें से अधिकांश में तथ्य सही नहीं थे.

गुंबद के नीचे राम का जन्म होने का दावा सिद्ध नहीं हुआ
धवन ने कहा कि गुंबद के नीचे राम का जन्म होने और श्रद्धालुओं के वहीं फूल प्रसाद चढ़ाने का कोई भी दावा सिद्ध नहीं किया गया. यहां गुंबद के नीचे तो ट्रेसपासिंग कर लोग घुस आए थे. जब वहां पूजा चल रही थी तो अंदर घुसने का मतलब क्या है? इसका मतलब पूजा बाहर ही हो रही थी. कभी भी मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई. वहां लगातार नमाज़ होती रही थी.

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