कुछ इस तरह सीएम योगी आदित्यनाथ ने बदल दी वनटांगियां लोगों की जिंदगी
गोरखपुर. देश को आजादी भले ही 1947 में मिली थी, लेकिन जंगलों के बीच निवास करने वाले वनटांगियां लोगों को असली आजादी योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के मुख्यमंत्री बनने के बाद ही मिली. आजादी के बाद भी इन्हें मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिली थीं. जंगलों के बीच रहना. न रास्ता था और न ही मकान बनाने का अधिकार. राजस्व ग्राम था नहीं तो सरकार की कोई योजना लागू ही नहीं होती थी. इसकी जानकरी जब योगी आदित्यनाथ को हुई तो वे इन्हीं के बीच दीपावली (Deepawali) मनाने लगे और इनके लिए संघर्ष करने लगे. जब वो खुद सूबे के मुखिया बने तो उन्होंने बनटांगिया के निवासियों को अच्छे दिन ले आये.
क्या कुछ बदला वनटांगिया गांवों में
अंग्रेजों ने जंगल लगाने के लिए कुछ लोगों को जंगल के बीच में ही बसा दिया था. इन लोगों का काम था जंगल में पेड़ लगाना और उसे बड़ा करना और वहीं पर किसी तरह से जीवनयापन करना. देश जब आजाद हुआ तब भी इन्हें मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पायीं, क्योंकि ये जिस स्थान पर निवास करते थे वो वन विभाग के कानून के अंदर आता था. यानि वो वहां पर किसी तरह का कोई निर्माण नहीं करा सकते थे. रहने के लिए इनके पास चार बाई चार की झोपड़ी रहती थी. जंगलों के बीच से कच्चा रास्ता, बिजली पहुंची नहीं, बच्चों के पढ़ने की कोई सुविधा नहीं थी.
सांसद रहते ही शुरू किया संघर्ष
इन स्थितियों के बारे में योगी आदित्यनाथ को जब पता चला तब वो गोरखपुर के सांसद थे. इसके बाद वो हर साल इन्हीं लोगों के बीच जाकर दिपावली मनाने लगे. योगी आदित्यनाथ ने सांसद रहते हुए ही साल 2006 में वन अधिकार कानून बनने के बाद वनटांगिया परिवारों को उनकी खेती और आवास की जमीन पर मालिकाना हक दिलवाया था. तीन चरणों में हजारों परिवारों को उनकी जमीनों से अधिकार पत्र मिले थे. इसके तहत इन्हे अपने घर और खेती की जमीन पर मालिकाना हक मिला था. फिर भी इन्हे पक्का निर्माण कराने का अधिकार नहीं था. मूलभूत सुविधाएं नहीं थी. जब योगी आदित्यनाथ जब मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने इन वन ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया. जिसके बाद इनकी किस्मत बदल गयी. आज गांव में वो सारी सुविधाएं हैं जो किसी गांव की बेसिक नीड होती है. गांव में बिजली पहुंच गई है तो महिलाएं रसोई गैस पर खाना बना रही है. कच्चे रास्तों पर खंडजा लग गया है. लोगों के मकान बन गए हैं. शौचालय और पीने के पानी की टंकी लग गई है. बच्चों के पढ़ने के स्कूल बन गए हैं.
बच्चे बुलाते हैं टॉफी वाले बाबा
पिछले कई सालों से गांव में दीपावली मनाने वाले योगी आदित्यनाथ का इंतजार गांव के बच्चे भी बड़ी बेसब्री से कर रहे हैं. बच्चों का कहना है कि योगी बाबा हर साल दिपावली पर उन्हे कपड़ा देते हैं, जूता मोजा देते हैं, कापी, किताब देते हैं, मिठाई व चाकलेट भी देते हैं. बच्चे योगी आदित्यनाथ को टॉफी वाले बाबा भी कहते हैं.
वहीं जिलाधिकारी का कहना है कि राजस्व ग्राम का दर्जा मिलने के बाद इन गांवों जो भी मूलभूत सुविधाएं होती है वो सब उपलब्ध करा दिया गया है. गांव में चकबंदी चल रही है, जल्दी ही चकबंदी पूरी हो जायेगी. इसके बाद यहां पर अस्पताल से लेकर अन्य सुविधाएं हो जायेगीं. दीपावली के दिन मुख्यमंत्री कुछ और घोषणाएं कर सकते हैं.