‘गल्ल तां पंजाबी दी सी, मेरी सिखी पर सवाल खड़ा कर दिया’

गल्ल तां पंजाबी भाषा दी सी, मेरी सिखी ते सवाल खड़ा कर दित्ता। मैनूं भेखी (रंग बदलने वाला) कहया गया। इसको मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता था, इसलिए मैंने ककार की रक्षा के लिए कदम उठाया है। कुछ गलत नहीं किया। अमृत की मर्यादा भंग नहीं की बल्कि उसकी बेअदबी होने से बचाया है।
सिखी स्वरूप त्यागने वाले गायक केएस मक्खन ने बुधवार को खास बातचीत में अपना दर्द बयां किया। केएस मक्खन गायक गुरदास मान की हिमायत कर विवादों में हैं। मान के एक राष्ट्र एक भाषा की हिमायत करने पर पंजाब से लेकर कनाडा तक बवाल खड़ा कर दिया है। इस बवाल में मक्खन ने मान की हिमायत की, जिसके बाद कई लोगों ने मक्खन का विरोध किया।

मक्खन ने फेसबुक लाइव होकर अपने पूर्ण सिख के ककार परित्याग दिए, जिसके बाद विवाद बढ़ गया। मक्खन की जहां विदेशों में बैठे सिख आलोचना करने लगे हैं, वहीं एसजीपीसी ने भी उसके खिलाफ स्टैंड ले लिया है। इन विवादों के बीच मक्खन अपने स्टैंड पर कायम हैं।
मक्खन का कहना है कि अभी तो मैंने ककार त्यागे हैं। इसके आगे सिखी स्वरूप व केश भी त्याग दोगे.. इस पर मक्खन ने कहा कुछ वी। जिस दिन से मैंने गुरदास मान की हिमायत की है, उस दिन से मुट्ठी भर सिख लोग मेरा मजाक उड़ा रहे हैं। मैं सिख किस तरफ से हुआ, जब ऐसे लोग मेरा मजाक उड़ा रहे हैं। मैं तो पूरा गुरु साहब के बताए रास्ते पर चल रहा था।

पूरी निम्रता से जिंदगी जी रहा था। मेरे से गलती हुई तो मैंने यूके में माफी भी मांगी। मेरी पगड़ी वहां उछाल दी जाती। सिखी का मजाक उड़ाने पर क्या आपको श्री अकाल तख्त साहब नहीं जाना चाहिए था? इस पर मक्खन ने कहा कि ऐसे पवित्र स्थल को बीच में नहीं लाना चाहिए। क्या आपको ककार का परित्याग करना चाहिए था? यह सही कदम है?

इसके जवाब में मक्खन ने कहा कि कुछ प्रचारकों के चेलों चपाटों को लगता था कि मैने ककार सिर्फ दिखावे के लिए डाले हैं, वह मेरी फोटो वायरल करते थे, मुझे स्टेज से बुरा भला कहा जाने लगा। मेरा मन टूट गया। आज सिखी बिखर रही है, कुछ लोगों ने संस्थाएं बना रखी हैं, वही सिखी पर लोगों को कटघरे में खड़े करने लगे हैं। आज जरूरत है सिखों को एकजुट करने की, उसके लिए प्रयास होना चाहिए।

 

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