चुनाव परिणाम 2019: चंडीगढ़ में कांग्रेस और भाजपा में कांटे की टक्कर, हार और जीत पर बढ़ा सस्पेंस
इस बार चंडीगढ़ में मतदान 70.62 फीसदी रहा, जो 2014 के मुकाबले करीब तीन फीसदी कम है। मतदान कम होने की वजह जानने के लिए यूटी प्रशासन ने मंथन शुरू कर दिया है। जो मतदान हुआ है, उसमें किसको कितना मिला है, विशेषज्ञों के साथ राजनीतिक दलों ने भी गुणा-भाग शुरू कर दिया है। चंडीगढ़ में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला है। पूरी तरह पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़े भाजपा उम्मीदवार को उम्मीद है कि वे पिछली बार की दफा इस बार भी चुनाव जीत रही हैं, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को स्थानीय मुद्दों का फायदा उनके पक्ष में जाता दिख रहा है।
आप के जो वोट हासिल करेगा, वो बढ़त में रहेगा
साल 2014 में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार गुल पनाग को करीब 24 फीसदी वोट हासिल किए थे। उन्हें एक लाख आठ हजार वोट मिले थे। आप पहली बार चुनाव में थी और एक ही झटके में इतने सारे वोट हासिल कर लिए थे। उस दौरान माना गया था कि यह वोट कांग्रेस का था। आप को मिले 24 फीसदी वोट में 60 फीसदी वोट कालोनी से मिले थे, जबकि 40 फीसदी वोट सेक्टरों से हासिल हुए थे। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या आप के मौजूदा उम्मीदवार हरमोहन धवन अपनी पार्टी के पारंपरिक वोट हासिल कर रहे हैं। यदि नहीं तो ये वोट कौन लेकर जा रहा है।
दूसरी अहम बात यह है कि क्या कांग्रेस अपने पुराने वोट हासिल करने में कामयाब रही। रविवार को हुए मतदान में एक बात साफ दिखी है कि कालोनियों में इस बार भी बंपर वोटिंग हुई है। वोट आप को गया और कांग्रेस व बीजेपी को भी। जोर किसका चला है यह तो 23 मई को पता चलेगा। लेकिन इतना तय है कि जो भी आप के वोट लेकर जाएगा, वो बढ़त में रहेगा।
मध्यवर्गीय वोटर किसके साथ
शहर के मध्यवर्गीय वोटर की भूमिका इस बार के चुनाव में मायने रखने वाली है। शहर के मतदाताओं में इनकी अच्छी खासी संख्या है। मध्यवर्ग के एक बड़े हिस्से में पीएम मोदी प्रति अच्छा-खासा झुकाव है। सेक्टर 22 के एक पोलिंग बूथ में आए राजवीर ने बताया कि वे भाजपा के स्थानीय उम्मीदवार के बारे में ज्यादा तो नहीं जानते। लेकिन मोदी के प्रति उनका विश्वास दृढ़ था। उनके पीछे आ रहे रोहित ने बताया कि देश में आतंकवाद के खिलाफ नकेल कसी गई है। इससे एक आत्मविश्वास बढ़ा है। पहले आए दिन धमाके हुआ करते थे। ऐसा लगता था कि देश असहाय हो चुका है। कम से कम अब धमाके की आवाज तो नहीं आती। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मध्यवर्ग किसके साथ है?
घनी आबादी का वोट बंटा
इस बार सबसे ज्यादा सस्पेंस कालोनियों के वोट पर है। पिछली बार यहां के वोट पर आप और बीजेपी ने बाजी मारी थी। इस बार कांग्रेस ने पिछली बार से सबक लेते हुए कालोनियों पर खास तौर पर फोकस किया। कांग्रेस के एक नेता दावा किया है कि इस बार सेक्टर 25, मनीमाजरा, इंदिरा कालोनी, धनास, डड्डूमाजरा, मलोया में इस बार कांग्रेसियों को अच्छे वोट मिलने वाले हैं। वहीं भाजपा कालोनी नंबर चार, रामदरबार, हल्लोमाजरा, इंद्रा कालोनी, विकास नगर, धनास के स्माल फ्लैट में बढ़त हासिल करती दिखी। यह नहीं कहा जा कि कालोनी और घनी आबादी के वोट सिर्फ एक पार्टी को गए हैं।
इसलिए नहीं लग पाया अंदाजा
इस बार राजनीतिक दल वोटर पर्ची नहीं बांट पाए। पिछले चुनाव तक राजनीतिक दल घर-घर पर्ची बांट कर आते थे। पर्ची लेकर वोटर दलों के चुनावी टेंट में जाते थे। इससे मतदाताओं की भीड़ टेंट में लगी रहती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। भीड़ से इस बात का अंदाजा लग जाता था कि आखिर माहौल किसके पक्ष में है। इस बार पर्ची का सिस्टम बंद था। इस बार पर्ची निर्वाचन आयोग की ओर से लोगों के घर पर पहुंचाई गई है। ऐसे में मतदाता टेंट में न जाकर सीधे पोलिंग बूथ पर पहुंचा है। इससे चंडीगढ़ की सीट पर सस्पेंस बढ़ गया है।