डिजिटल पेमेंट से अर्थव्‍यवस्‍था में आएगी पारदर्शिता: राष्ट्रपति

नई दिल्‍ली
राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 68वें गणतंत्र दिवस की पूर्वसंध्‍या पर राष्‍ट्र के नाम अपने संबोधन में नोटबंदी और कैशलेस ट्रांजैक्‍शन से लेकर लोकतंत्र, चुनाव सुधार सहित तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि नोटबंदी के फैसले का अच्‍छा असर होगा और इससे अर्थव्‍यवस्‍था में पारदर्शिता आएगी।

नोटबंदी को बताया बढ़‍िया
राष्‍ट्रपति ने कहा, 'हमारी अर्थव्यवस्था चुनौतीपूर्ण वैश्विक गतिविधियों के बावजूद अच्छा प्रदर्शन कर रही है। नोटबंदी की वजह से भले ही अस्‍थायी तौर पर आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा है लेकिन कालेधन से लड़ने के लिए लागू की गई नोटबंदी का अच्छा असर होगा और डिजिटल पेमेंट से लेन-देन में भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। जितना ज्‍यादा कैशलेस ट्रांसजैक्‍शन होगा, हमारी अर्थव्‍यवस्‍था की पारदर्शिता में उतना ही ज्‍यादा सुधार होगा।'

 

भारतीय लोकतंत्र की प्रशंसा
प्रणव मुखर्जी ने कहा, 'अशांति से परिपूर्ण क्षेत्र में भारतीय लोकतंत्र स्‍थायित्‍व के सुखद जगह की तरह है। हमारा लोकतंत्र कोलाहलपूर्ण है, लेकिन हम चाहते हैं हमारा लोकतंत्र बढ़े, कम न हो। हमारी परंपरा में कभी असहिष्णु समाज की नहीं बल्कि तर्कवादी समाज की प्रशंसा की गई है। एक मजबूत लोकतंत्र सहिष्‍णुता, धैर्य और दूसरों के लिए सम्‍मान की मांग करता है।'

चुनावी सुधार की बात
राष्‍ट्रपति ने इस मौके पर चुनावी सुधार की भी बात की। उन्‍होंने कहा, 'हमारे लोकतंत्र की मजबूती यह है कि 2014 के आम चुनाव में 66% से अधिक मतदाताओं ने मतदान किया। अब चुनावी सुधारों पर रचनात्मक परिचर्चा करने का भी समय आ गया है। राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श कर इस कार्य को आगे बढ़ाना चुनाव आयोग का दायित्व है।'

गांव, गरीबों पर जोर
प्रणव मुखर्जी ने अपने संबोधन में गरीबों और गांवों की स्थिति सुधारने की भी बात की। उन्‍होंने कहा, 'हमें गांव के लोगों के लिए ज्यादा सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए जिससे उनका जीवन अच्छा हो सके। हमें कृषि को बढ़ावा देना चाहिए। हमें युवाओं को रोजगार देने और औद्योगिक विकास के लिए अवसरों को विकसित करना है। गांधी जी का सपना, हर आंख से आंसू पोछने का अभी पूरा नहीं हुआ है। अभी भी जनसंख्या का पांचवा हिस्सा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करता है। हमें अपने लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए और परिश्रम करना होगा।'

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