नकली सूची लेकर पैरेंट्स एसोसियेशन जायेगा न्यायालय 

राजनांदगांव । राज्य शासन ने शिक्षा का अधिकार भर्ती के लिये टाईम टेबल जारी किया था, लेकिन जिले में इस टाईम टेबल को ताक में रख दिया गया है, क्योंकि राजनांदगांव में शिक्षा का अधिकार भर्ती पर रोक लग गया है। गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने की प्रक्रिया रोक दी गई है। पोर्टल में गड़बड़ी है या नोडल अधिकारियों की गलती या फिर जिला शिक्षा अधिकारी की गैर जिम्मेदारी। रायपुर में बैठे उच्च अधिकारियों की माने तो जिले में बैठे जिम्मेदार लोगों की लापरवाही के कारण तय समय-सीमा पर प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। ऑन-लाईन लॉटरी में निकाले गये प्रमाणित चयन सूची में हुई गड़बड़ी या दस्तावेजो के परीक्षण में हुई चूक, किसी को तो जिम्मेदार लेनी पड़ेगी।
पोर्टल में गड़बड़ी आरंभ से थी। छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन ने इसकी जानकारी अनेकों बार जिला शिक्षा अधिकारी को दिया गया। प्रशिक्षित लोगों के द्वारा नोडल अधिकारियों को कई बार ट्रेनिंग दिया गया था। अब ट्रेनिंग कौन दिया, कैसे दिया और अब वे ट्रेनर कहा है, कोई तो इस समस्या का समाधान करें। जिम्मेदारी तो तय हो, दोषियों पर कार्यवाही तो किया जावे। जिले में शिक्षा का अधिकार मजाक बन कर रह गया है, जो गलती बीते वर्ष की गई उसे सुधारा नहीं गया। अपनी गलती छिपाने में लगे अधिकारी अब एक-दूसरे को बचाने में लगें हुए है। लॉटरी में चयन सूची यदि गलत निकाल दिया गया था, तो उसे आम जनता से छिपाया क्यों गया। 2 मई से लेकर अब तक गलती को स्वीकार क्यों नहीं किया गया। 
शिक्षा विभाग, आरटीई कानून को लेकर कितना गंभीर?
जिन बच्चों का नाम लॉटरी के माध्यम से चयन सूची में आया है, अब तक इस चयन सूची को सार्वजनिक नहीं किया गया। नोडल अधिकारियों के द्वारा इस चयन सूची को संबंधित प्राईवेट स्कूलों में अभी तक भेजा नहीं गया। जिन स्कूलों में लॉटरी नहीं निकाला जा सका है, वहां अब तक लॉटरी नहीं निकाला जा सका है। जिन नोडल अधिकारियों ने दस्तावेजों का परीक्षण तक नहीं किया, अब उन बच्चों का क्या होगा, इस पर शिक्षा विभाग के द्वारा चुपी साध लिया गया है। जिन नोडल अधिकारियों के यहां कुछ प्राईवेट स्कूल में आरक्षित सीटों से ज्यादा सीटों पर लॉटरी निकल गया है, उसे कैसे समायोजित किया जायेगा। जिन प्राईवेट स्कूलों में अभी भी रिक्त सीट्स दिख रहा है, उसे भरा कैसे जायेगा, इस संबंध में जिला शिक्षा विभाग के पास कोई जवाब नहीं है। 
चयन सूची की प्रमाणित प्रति लेकर हम हाईकोर्ट जायेगें, क्योंकि गरीब बच्चों को न्याय नहीं मिल पा रहा है। प्रतिवर्ष सैकड़ों गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा से वंचित किया जा रहा है, जो उचित नहीं है।

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