बिहार में NDA का क्‍लीन स्‍वीप, पहली परीक्षा में फेल होते दिख रहे तेजस्वी

पटना । लोकसभा चुनाव की मतगणना के अभी तक के रूझानों की बात करें तो बिहार में राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को क्‍लीन स्‍वीप मिलता दिख रहा है। इससे विपक्षी महागठबंधन (Grand Alliance) खेमे में सन्‍नाटा छा गया है। साथ ही राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के बेटे तेजस्वी  यादव (Tejashwi Yadav) के नेतृत्‍व पर भी सवाल खड़े होते दिख रहे हैं। रूझानों के अनुसार अब महागठबंधन की हार का ठीकरा तेजस्‍वी के सिर पर फूटना तय है।

एनडीए ने महागठबंधन पर बनायी बढ़त
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) की मतगणना जारी है। अभी तक मिले इसके रूझान बताते हैं कि एनडीए ने विपक्षी महागठबंधन पर बढ़त बना ली है। बिहार की 40 सीटों में अधिकांश पर एनडीए का पलड़ा भारी है। इसके साथ ही राजद में तेजस्‍वी के नेतृत्‍व पर सवालिया निशान लगता दिख रहा है।

लोकसभा चुनाव में किए कई बड़े फैसले
चारा घोटाला में मामलों में जेल जाने के कारण लालू प्रसाद यादव ने आरजेडी की कमान छोटे बेटे तेजस्‍वी यादव को सौंप दी। इसके बाद लोकसभा चुनाव में तेजस्‍वी ने कई बड़े फैसले किए। उन्‍होंने महागठबंधन की सीट शेयरिंग में अहम भूमिका निभाई। इस दौरान उनका विरोध भी हुआ।
तेजस्‍वी ने जन अधिकर पार्टी (JAP) सुप्रीमो की महागठबंधन में एंट्री का विरोध किया। मोकामा के निर्दलीय विधायक अनंत सिंह की महागठबंधन में एंट्री पर उन्‍हें 'बैड एलिमेंट' बता आपत्ति दर्ज की। पप्‍पू यादव ने जब मधेपुरा से निर्दलीय ताल ठोक दिया तो आरजेडी ने सुपौल में उनकी पत्‍नी रंजीत रंजन का विरोध किया। ये मुद्दे सुलझा लिए गए, लेकिन इसने तेजस्‍वी के फैसलों पर सवाल जरूर खड़े हुए।
तेज प्रताप से भी मिलीं चुनौतियां
चुनाव के दौरान तेजस्‍वी को पार्टी के साथ-साथ परिवार से भी काफी चुनौतियां मिलीं। सीट शेयरिंग के मुद्दे पर जब बड़े भाई तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) की शिवहर व जहानाबाद सीटों की मांग नहीं मानी गई तो उन्‍होंने 'लालू राबड़ी मोर्चा' बनाकर दोनों जगह अपने प्रत्‍याशी दे दिए। शिवहर में तेज प्रताप के प्रत्‍याशी का नामांकन तो रद हो गया,लेकिन जहानाबाद में तेज प्रताप आरजेडी के विरोध में खुलकर सामने दिखे।
तेज प्रताप सारण सीट पर अपने ससुर चंद्रिका राय की उम्‍मीदवारी के भी खिलाफ थे। उन्‍होंने वहां से खुद निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी। यह विवाद भी सुलझा लिया गया, लेकिन इससे लालू परिवार व आराजेडी की खूब किरकिरी हुई।
तेज प्रताप यादव इनकार करते हैं, लेकिन आरजेडी में असंतोष को तेज प्रताप यादव के तेवर हवा देंगे, यह तय लग रहा है। तेज प्रताप के वाणी-व्यवहार पर अंकुश लगाना मुश्किल होगा। इससे तेजस्‍वी का नेतृत्‍व कमजोर होगा।
विधानसभा चुनाव पर तेज प्रताप की नजर
तेज प्रताप की करीब साल भर बाद होने वाले विधानसभा चुनाव पर नजर है। उन्होंने पहले ही एलान कर रखा है कि बिहार विधानसभा की सभी 243 क्षेत्रों में चुनावी यात्राएं करेंगे। आरजेडी विधायकों और टिकट के दावेदारों की हैसियत का आकलन करेंगे। तब बदली परिस्थिति में तेज प्रताप का कद बढ़ना तय माना जा रहा है।
मीसा भारती भी हो सकती हैं मुखर
तेजस्‍वी के नेतृत्‍व पर सवाल उनकी बहन मीसा भारती भी उठा सकतीं हैं। मीसा पाटलिपुत्र से राजद की प्रत्याशी हैं। परिणाम अगर मीसा के पक्ष में नहीं आया तो पार्टी में उन्हें प्रखर-मुखर होने से कोई रोक नहीं सकता।
तेजस्वी के लिए परेशानी भरे होंगे आने वाले दिन 
स्‍पष्‍ट है, आने वाले दिन तेजस्वी के लिए परेशानी भरे होंगे। इसका सीधा उनके नेतृत्‍व पर पड़ेगा। पार्टी के नेता कहते हैं कि चुनाव परिणाम जो भी हों, लालू व तेजस्‍वी के नेतृत्‍व को लेकर कोई सवाल नहीं है। लेकिन इतना तो तय है कि पहले वाली बात नहीं रहेगी।
पटना [अमित आलोक]। लोकसभा चुनाव की मतगणना के अभी तक के रूझानों की बात करें तो बिहार में राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को क्‍लीन स्‍वीप मिलता दिख रहा है। इससे विपक्षी महागठबंधन (Grand Alliance) खेमे में सन्‍नाटा छा गया है। साथ ही राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के बेटे तेजस्वी  यादव (Tejashwi Yadav) के नेतृत्‍व पर भी सवाल खड़े होते दिख रहे हैं। रूझानों के अनुसार अब महागठबंधन की हार का ठीकरा तेजस्‍वी के सिर पर फूटना तय है।

एनडीए ने महागठबंधन पर बनायी बढ़त
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) की मतगणना जारी है। अभी तक मिले इसके रूझान बताते हैं कि एनडीए ने विपक्षी महागठबंधन पर बढ़त बना ली है। बिहार की 40 सीटों में अधिकांश पर एनडीए का पलड़ा भारी है। इसके साथ ही राजद में तेजस्‍वी के नेतृत्‍व पर सवालिया निशान लगता दिख रहा है।

लोकसभा चुनाव में किए कई बड़े फैसले
चारा घोटाला में मामलों में जेल जाने के कारण लालू प्रसाद यादव ने आरजेडी की कमान छोटे बेटे तेजस्‍वी यादव को सौंप दी। इसके बाद लोकसभा चुनाव में तेजस्‍वी ने कई बड़े फैसले किए। उन्‍होंने महागठबंधन की सीट शेयरिंग में अहम भूमिका निभाई। इस दौरान उनका विरोध भी हुआ।
तेजस्‍वी ने जन अधिकर पार्टी (JAP) सुप्रीमो की महागठबंधन में एंट्री का विरोध किया। मोकामा के निर्दलीय विधायक अनंत सिंह की महागठबंधन में एंट्री पर उन्‍हें 'बैड एलिमेंट' बता आपत्ति दर्ज की। पप्‍पू यादव ने जब मधेपुरा से निर्दलीय ताल ठोक दिया तो आरजेडी ने सुपौल में उनकी पत्‍नी रंजीत रंजन का विरोध किया। ये मुद्दे सुलझा लिए गए, लेकिन इसने तेजस्‍वी के फैसलों पर सवाल जरूर खड़े हुए।
तेज प्रताप से भी मिलीं चुनौतियां
चुनाव के दौरान तेजस्‍वी को पार्टी के साथ-साथ परिवार से भी काफी चुनौतियां मिलीं। सीट शेयरिंग के मुद्दे पर जब बड़े भाई तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) की शिवहर व जहानाबाद सीटों की मांग नहीं मानी गई तो उन्‍होंने 'लालू राबड़ी मोर्चा' बनाकर दोनों जगह अपने प्रत्‍याशी दे दिए। शिवहर में तेज प्रताप के प्रत्‍याशी का नामांकन तो रद हो गया,लेकिन जहानाबाद में तेज प्रताप आरजेडी के विरोध में खुलकर सामने दिखे।
तेज प्रताप सारण सीट पर अपने ससुर चंद्रिका राय की उम्‍मीदवारी के भी खिलाफ थे। उन्‍होंने वहां से खुद निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी। यह विवाद भी सुलझा लिया गया, लेकिन इससे लालू परिवार व आराजेडी की खूब किरकिरी हुई।
तेज प्रताप यादव इनकार करते हैं, लेकिन आरजेडी में असंतोष को तेज प्रताप यादव के तेवर हवा देंगे, यह तय लग रहा है। तेज प्रताप के वाणी-व्यवहार पर अंकुश लगाना मुश्किल होगा। इससे तेजस्‍वी का नेतृत्‍व कमजोर होगा।
विधानसभा चुनाव पर तेज प्रताप की नजर
तेज प्रताप की करीब साल भर बाद होने वाले विधानसभा चुनाव पर नजर है। उन्होंने पहले ही एलान कर रखा है कि बिहार विधानसभा की सभी 243 क्षेत्रों में चुनावी यात्राएं करेंगे। आरजेडी विधायकों और टिकट के दावेदारों की हैसियत का आकलन करेंगे। तब बदली परिस्थिति में तेज प्रताप का कद बढ़ना तय माना जा रहा है।
मीसा भारती भी हो सकती हैं मुखर
तेजस्‍वी के नेतृत्‍व पर सवाल उनकी बहन मीसा भारती भी उठा सकतीं हैं। मीसा पाटलिपुत्र से राजद की प्रत्याशी हैं। परिणाम अगर मीसा के पक्ष में नहीं आया तो पार्टी में उन्हें प्रखर-मुखर होने से कोई रोक नहीं सकता।
तेजस्वी के लिए परेशानी भरे होंगे आने वाले दिन 
स्‍पष्‍ट है, आने वाले दिन तेजस्वी के लिए परेशानी भरे होंगे। इसका सीधा उनके नेतृत्‍व पर पड़ेगा। पार्टी के नेता कहते हैं कि चुनाव परिणाम जो भी हों, लालू व तेजस्‍वी के नेतृत्‍व को लेकर कोई सवाल नहीं है। लेकिन इतना तो तय है कि पहले वाली बात नहीं रहेगी।
 

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