भोपाल लोकसभा सीट: ऐसा चल रहा है दिग्विजय का कैंपेन, रूठे भी मंच पर नजर आने लगे
बीजेपी अभी तक भोपाल लोकसभा सीट के अपने प्रत्याशी का नाम ही तय नहीं कर पा रही है. इसका पूरा फायदा कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह उठाते दिख रहे हैं. प्रचार और मतदाताओं तक पहुंच बनाने में दिग्विजय सिंह बीजेपी से कहीं आगे निकल गए हैं. पार्टी के जो नेता अब तक उनसे नाराज़ चल रहे थे, वो भी अब मंच पर साथ नज़र आ रहे हैं.
उधर भोपाल लोकसभा सीट पर बीजेपी का मंथन जारी है. बीजेपी की ओर से अभी तक अपना प्रत्याशी घोषित न कर पाने से कांग्रेस को खुला मैदान मिल गया है. 15 दिन में भोपाल लोकसभा क्षेत्र का हर कोना कसने के बाद पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह अब तमाम वर्ग के वोटर्स को साधने मैदान में सक्रिय हैं. मौजूदा स्थिति में चुनावी अखाड़े में अकेले खड़े दिग्विजय अपने दल के रूठे नेताओं और जनता को भी मनाने में लगे हुए हैं.
प्रचार के दौरान दिग्विजय सिंह के अलग-अलग रूप देखने मिल रहे हैं. कहीं दिग्विजय मंदिर, मस्जिद में माथा टेकते नज़र आ रहे हैं तो कभी कर्मचारियों के बीच माफी मांगते दिखाई दिए. पूर्व सीएम हर वर्ग और तबके के वोट बैंक को साध रहे हैं. युवा, महिला, विभिन्न संगठन ही नहीं बल्कि डॉक्टर, इंजीनियर, वकील और संतों से भी मिल कर उन्हें अपने विश्वास में ले रहे हैं. 72 साल के दिग्विजय युवाओं के बीच पहुंचकर खुद को 50 का महसूस करते हैं तो वहीं कुछ जाति विशेष आयोजनों में दिग्विजय नाचते-गाते भी दिखाई देते हैं. कांग्रेस पार्टी की मानें तो दिग्विजय अब सिर्फ पीएम मोदी को ही अपनी चुनौती मानते हैं.
इस चुनाव में दिग्विजय सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. 16 साल बाद चुनाव मैदान में उतर रहे दिग्विजय सिंह अगर ये चुनाव हारते हैं तो ये पार्टी से ज़्यादा उनके लिए बड़ा झटका होगा. उनके समर्थन में उनके कट्टर समर्थकों ने मैदान संभाल लिया है. भोपाल में उनके कैंपेन की कमान खुद उनके मंत्री बेटे जयवर्धन सिंह, पी सी शर्मा और गोविंद सिंह संभाल रहे हैं. अल्पसंख्यकों को साधने के लिए मंत्री आरिफ अकील सक्रिय हैं. दिग्विजय सिंह युवाओं से अलग-अलग सीधे संवाद कर रहे हैं.
युवा मतदाताओं के बीच पहुंचने के साथ दिग्विजय सिंह कांग्रेस के पुराने और अनुभवी नेताओं से भी मेल मुलाकात कर रहे हैं ताकि कोई गुटबाज़ी जीत में आड़े ना आए. दिग्विजय सिंह ने अपने साथ अपने बेटे और कमलनाथ सरकार में मंत्री जयवर्धन को भी साथ लेकर बुज़ुर्ग नेताओं ेस उनका पहचान करा रहे हैं. नर्मदा परिक्रमा के 1 साल पूरा होने पर एक कार्यक्रम कर दिग्विजय सिंह ने कई बुजुर्ग नेताओं को उसमें बुलाया था. ख़ास बात ये है कि कांग्रेस से नाराज चल रहे पीसीसी कोषाध्यक्ष गोविंद गोयल भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे. 3 घंटे तक वो दिग्विजय सिंह के साथ रहे. दिग्विजय से कुछ समय पूर्व नाराज़ चल रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी भी अब उनके साथ मंच साझा कर रहे हैं.
इन दिनों दिग्विजय जहां भी जाते हैं बहुत कॉन्फिडेंट नज़र आते हैं. बदलती सियासत में बदले हुए स्वरूप के साथ तमाम वोट बैक को साधने दिग्विजय दिन-रात हर मुमकिन जतन कर रहे हैं.