मधुमेह और हृदय रोग से निजात दिलाने में सक्षम है काली गेहूं, खाएंगे तो बड़े ही फायदे में रहेंगे

क्या आपने कभी काले गेहूं या फिर 400 ग्राम के अमरूद को देखा या उसके बारे में सुना है। सिरसा रोड स्थित उत्तरी क्षेत्र मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान (टीटीसी) में आयोजित तीन दिवसीय कृषि दर्शन किसान मेले के पहले दिन शनिवार को काली गेहूं और अमरूद की इस प्रजाति का प्रदर्शन किया गया है। किसान विकास सोसाइटी की मानें तो काली गेहूं से कई बीमारियों की रोकथाम की जा सकती है। साथ ही उनका कहना है कि गेहूं की इस किस्म पर मोहाली में स्थित एनएबीआई के वैज्ञानिक रिसर्च भी कर रहे हें।
यह है काले गेहूं की खासियत
सोसाइटी के प्रधान सूरजभान के मुताबिक इसमें एंथोसावनिन प्राकृतिक एंटी ऑक्सीडेंट हैं, जो ब्लूबैरीज व एल्डरबैरीज आदि फलों में पाया जाता है। यह शरीर से हानिकारक रेडिकल्स को निकाल देते हैं और मोटापे, हृदय रोग, मधुमेह व बुढ़ापे आदि की रोकथाम में सहायक होते हैं। इसके अलावा इसमें सामान्य गेहूं के मुकाबले जिंक व आयरन की मात्रा भी ज्यादा है।

चूहों पर किया गया है प्रयोग
सूरजभान ने बताया कि मोहाली स्थित एनएबीआई रिसर्च सेंटर में चूहों पर किए गए प्रयोगों में देखा गया कि इस गेहूं के कारण ब्लड कोलेस्ट्राल और शुगर कम हुआ और साथ ही वजन भी कम हुआ। मगर यह इंसान पर कितना कारगर होगा, इस पर रिसर्च की जा रही है। सूरजभान ने बताया कि वह किसानों की मांग पर वह इस गेहूं का बीज उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने बताया कि वह इसका आटा व दलिया भी उपलब्ध कराते हैं।

टीटीसी के डायरेक्टर ने किया मेले का उद्घाटन
इससे पहले टीटीसी के डायरेक्टर पीके पांडेय ने तीन दिवसीय मेले का उद्घाटन किया। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि इस मेले में प्रदर्शित की गई नवीनतम तकनीकों का इस्तेमाल कर आधुनिक खेती करें और ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाए। मेले में किसानों को नवीनतम तकनीकों के अलावा हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की तरफ बीज भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
वीएनआर बीही किस्म उगाकर लें 300 ग्राम से एक किलोग्राम का फल
कृषि मेले में अमरूद की एक ऐसी किस्म प्रदर्शित की गई, जिससे मिलने वाले एक फल का वजन 300 ग्राम से एक किलोग्राम तक होता है। इस किस्म का नाम है वीएनआर बीही। इस किस्म की एक और खासियत यह है कि इसने मिलने वाला फल 7 से 10 दिन तक खराब नहीं होता, जबकि लोकल किस्म से मिलने वाले फल दो से तीन दिन में खराब हो जाते हैं। प्रदर्शनी लगाने वालों के मुताबिक ढाई साल में इसके पौधे से फल मिलने शुरू हो जाते हैं। उनके मुताबिक इसकी एक एकड़ की फसल से चार से साढ़े चार लाख तक की आमदनी हो सकती है। इसके एक पौधे की कीमत 170 रुपये है। यह फल मार्केट में 150 से 200 रुपये प्रति किलो तक बिक जाता है।

फ्रूट ग्रोथ बैग से फलों की बढ़ाए गुणवत्ता
यदि आपका फलों का बाग है और फलों की गुणवत्ता को लेकर चिंतित हैं तो आप फ्रूट ग्रोथ बैग का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस बैग की खासियत है कि यह बैग फलों को तेज धूप, कीड़ों आदि से होने वाले नुकसान से बचाता है और फल की गुणवत्ता को बढ़ाता है। बैग का प्रदर्शन करने वाली कंपनी के अधिकारियों की मुताबिक आमतौर पर किसान फलों के बचाव के लिए पॉलिथीन, अखबार या फोमनेट का इस्तेमाल करते हैं, जो ज्यादा कारगर नहीं है और इस पर लेबर भी ज्यादा लगती है। उन्होंने बताया कि फ्रूट ग्रोथ बैग पानी से भी खराब नहीं होता। यह तकनीक जापान से शुरू हुई थी और दुनिया भर में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत में यह तकनीक अभी आई है। अलग-अलग फलों के लिए अलग-अलग तरह के फ्रूट ग्रोथ बैग बनाए गए हैं। इन बैग की कीमत ढाई रुपये से लेकर साढ़े चार रुपये तक है।

बैंक ऑफ बड़ौदा ने बनाया किसानों के लिए मोबाइल एप
बैंक ऑफ बड़ौदा ने किसानों के लिए एक ऐसा मोबाइल एप बनाया है, जिसकी मदद से किसान प्रतिदिन के मंडी भाव, मौसम संबंधित जानकारी कृषि संबंधी सूचना, कृषि उपकरण, फसल कटाई के बाद बिक्री की जानकारी व बीमा सेवाएं संबंधी सारी जानकारी प्राप्त कर सकते है। इस मोबाइल एप के जरिये यह भी पता लगा सकते हैं कि वो किसी प्रकार का लोन प्राप्त कर सकते है या नहीं, ब्याज दर क्या रहेगी। कृषि मेले में किसानों को इस मोबाइल एप के लिए बताया गया।

 

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