रेल सफर को पहले से ज्यादा सुरक्षित बनाने की तैयारी, नये डिब्बों में होगी ये सुविधा

भारतीय रेल अपने करीब 40 हजार पुराने डिब्बों को आधुनिक और सुरक्षित बनाने जा रहा है. ये वो डिब्बे हैं जिन्हें कन्वेंशनल कोच कहा जाता है. ये इंटिग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई के बनाए डिजाइन के हैं.

मंगलवार को इन डिब्बों में आधुनिक सेंटर बफर कप्लर लगाने की शुरुआत की गई है. इससे किसी भी बड़े हादसे के वक्‍त डिब्बे एक दूसरे के ऊपर नहीं चढ़ेंगे. हादसे के वक्त सेंटर बफर कप्लर की वजह से डिब्बे एक दूसरे के साथ लॉक हो जाएंगे.

ये कप्लर हर डब्बे के आगे और पीछे लगाए जाएंगे. रेलमंत्री सुरेश प्रशु ने कहा है कि रेल को सुरक्षित बनाने और मुसाफिरों के बेहतर यात्रा अनुभव के लिए यह पहल की गई है.

दरअसल नवंबर में कानपुर के पास हुए रेल हादसे के वक्‍त इसकी जरूरत महसूस की गई थी. पुखरायां में हुए इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन के हादसे में 201 मुसाफिरों को जान गंवानी पड़ी थी.

इसमें डिब्बों के एक दूसरे के ऊपर चढ़ने की वजह से ही ज्‍यादा नुकसान हुआ था. इसके अलावा इस 40 हजार पुराने डिब्बों में सुविधाओं को भी बढ़ाया जा रहा है.

इसमें बेहतर बर्थ, आधुनिक बायो टॉयलेट, चार्जिंग प्‍वाइंट, फायर अलार्म, डस्टबिन और डिब्बों को आकर्षक बनाना शामिल है.

दूसरी तरफ 2 दिन पहले ही पैरा एथलीट सुवर्णा राज की शिकायत की बाद ट्रेनों में दिव्यांगों के लिए भी कुछ खास सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं. इसके तहत दिव्यांगों के लिए रेट्रैक्टिव प्लेटफॉर्म की सुविधा तैयार की जा रही है. ये प्लेटफॉर्म ट्रेन के आरक्षित कोच में दिव्यांगों के लिए मौजूद होंगे.

स्टेशन पर ट्रेन आते ही रैट्रैक्टिव प्लैटफॉर्म बाहर की तरफ खुल जाएंगे, जिसके सहारे व्हील चेयर को कोच के अंदर लाया जा सकेगा. दिव्यांगों के लिए ज्यादा स्पेस वाले टॉयलेट, सीट और तमाम सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी.

इन सुविधाओं के लिए भारतीय रेल हर डिब्बे पर करीब 30 लाख रुपये का खर्च करने जा रहा है. साल 2017-18 में 2000 पुराने डिब्बों को आधुनिक बनाया जाएगा. 2022 के अंत तक सभी पुराने डिब्बों के कायाकल्प का लक्ष्य रखा गया है.

फिलहाल यह काम भोपाल और मुंबई के रेलवे वर्कशॉप में शुरू हो चुका है. भारतीय रेल इस काम के लिए निजी सेक्टर में भी साझेदार की तलाश कर रहा है.

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