शनि अमावस्या और गुप्त नवरात्रि के अद्भुत योग का उठाएं लाभ, रात को करें ये काम

24 जून शनिवार को स्नानदान आदि की आषाढ़ की अमावस, शनैश्चरी (शनिवार) की अमावस, प्रात: 8 बजकर एक मिनट के बाद आषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रारम्भ एवं आषाढ़ महीने के माता के गुप्त नवरात्रे प्रारम्भ हो जाएंगे, जो दो जुलाई तक रहेंगे। इसके साथ-साथ मां ज्वाला के परम प्रिय भक्त श्री ध्यानूं भगत जी की जयंती भी है।


विद्वानों का कहना है, प्रतिपदा से लेकर नवमी तक नवदुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विधान है। गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं (मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुन्दरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्न महता, त्रिपुरी भैरवीं, मां धूमावती, माता बगुला मुखी, मातंगी व कमला देवी) की साधना से अभिष्ट सिद्धियां पाई जा सकती हैं। सतयुग में चैत्र नवरात्रि, द्वापर में माघ नवरात्रि, कलयुग में अश्विनी नवरात्रि और त्रेता युग में आषाढ़ नवरात्रि की प्राथमिकता रहती है।


शनि अमावस्या और गुप्त नवरात्रि का अद्भुत योग निसंतान दंपत्तियों को संतान देगा, पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी। 24 जून को किया गया व्रत-उपवास लाभ प्रदान करेगा। वर्तमान समय में वृश्चिक, धनु और मकर पर साढ़ेसाती वृषभ और कन्या राशि पर ढैय्या का प्रभाव चल रहा है। शनि पीड़ा से राहत के लिए किए गए उपाय छप्पड़ फाड़ लाभ देंगे। यदि इस दिन ये उपाय न कर सकें तो प्रत्येक शनिवार को भी कर सकते हैं।


संध्याकाल में पीपल के वृक्ष को मीठा जल और आटे का दीपक बनाकर, सरसों का तेल, एक लोहे की कील व साबुत उड़द के 11 दाने डालकर धूप-दीप के साथ अर्पित करें तथा बाएं हाथ से पीपल वृक्ष की जड़ को स्पर्श करके माथे से लगाएं व सात परिक्रमा करें। (स्त्रियां परिक्रमा न करें) तो कुछ ही समय में आर्थिक तंगी दूर हो जाती है।


पितृ कृपा प्राप्त करने के लिए पीपल के पेड़ के नीचे पांच तरह की अलग-अलग मिठाईयां रखकर सरसों के तेल का दीपक जलाकर प्रणाम करें।


घर को पैसों से भरने के लिए करें ये उपाय
शनिदेव का तेल से अभिषेक करें। 

काला तिल, उड़द और कपड़ा नीले फूलों के साथ दान करना चाहिए।


काले कुत्ते को कुछ खिलाना भी लाभदायक रहेगा।

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