ग़रीब की मदद करो, उसका दिल मत तोड़ो 

इन्दौर । ग़रीब की भूख प्यास के एहसास को सही मायने में हम तभी समझ सकते हैं जब हम  ख़ुद भूखे-प्यासे रहें। रमज़ान के रोज़े का असल मकसद यही है कि गरीब की भूख प्यास की शिद्दत को समझा जा सके।लिहाज़ा गरीब व ज़रूरतमंद के साथ हमदर्दी के साथ परोपकार के कार्य करना ही इंसानियत (मानवता) की सच्ची ख़िदमत है। रमज़ान की सीख यही है कि हम रब की शुक्रगुज़ारी के साथ ज़रूरतमंद लोगों की हक़ीक़त में मदद करें। 
यह विचार अतिथियों ने संस्था लब्बैक द्वारा अहिल्या पलटन मेन रोड पर आयोजित रोज़ा इफ्तार कार्यक्रम में व्यक्त किये। इस मौके पर पार्षद अनवर क़ादरी, हाजी अमान मेमन, पत्रकार ताहिर कमाल सिद्दीकी, मोहम्मद इमरान अली, शानू खान, अशरफ कुरैशी, हैदर कुरैशी, युसुफ कुरैशी सहित अनेक प्रबुद्ध समाजबन्धुओं ने शिरकत की।अध्यक्षता मुस्लिम समाज के प्रमुख हाजी खुरासान पठान ने की।इस अवसर पर हाजी अमान मेमन ने कहा अगर इंसानियत की ख़िदमत का मौका मिले तो खुशनसीबी समझकर इसे अंजाम दो।पत्रकार ताहिर कमाल सिद्दीकी ने कहा गरीब की मदद करो और दिखावा कर के उसका दिल मत तोड़ो।
तक़रीबन 4 हज़ार लोगों ने एक साथ रोज़ा इफ्तार किया। बड़ी संख्या में महिलाओं ने मदरसे में रोज़ा खोला। गौरतलब संस्था लब्बैक के युवा सदस्यों द्वारा समाज के पिछड़े, गरीब व ज़रूरतमंद की मदद कर सेवा कार्य करती है।पिछले चार वर्ष से संस्था द्वारा रोज़ा इफ्तार कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। अतिथियों का स्वागत संस्था लब्बैक के प्रमुख इमरानअली, युसुफ कुरैशी, शानू खान, हैदर कुरैशी आदि ने किया। तकरीबन चार हज़ार रोजेदार महिला,पुरुष सभी मौजूद थे।क्षेत्र के सबसे बड़े पैमाने पर रोज़ा इफ्तार की शानदार दावत संस्था लब्बैक के युवा सदस्यों ने मिलजुलकर दी।
 

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