38 देशों में ओमीक्रोन से अभी तक एक भी मौत नहीं: डब्ल्युएचओ

जिनेवा। कोरोना वायरस के नए वैरियंट ओमीक्रोन से दुनियाभर में दहशत है। भारत में भी ओमीक्रोन के चार मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इस वैरियंट के दो मामले कर्नाटक, और एक-एक गुजरात और महाराष्ट्र में मिले हैं। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्युएचओ) ने बताया है कि ओमीक्रोन के 38 देशों में फैलने के बावजूद इस सुपर स्प्रेडर वैरियंट से अभी तक किसी की मौत नहीं हुई है। डब्ल्यूएचओ के आपात निदेशक माइकल रयान ने कहा कि हमें वे जवाब मिलने जा रहे हैं जिनकी हर किसी को जरूरत है। डब्ल्यूएचओ ने कल कहा था कि उसने अभी भी ओमीक्रोन से संबंधित मौतों की कोई रिपोर्ट नहीं देखी है, लेकिन नए वैरियंट के प्रसार ने चेतावनी दी है कि यह अगले कुछ महीनों में यूरोप के आधे से अधिक कोविड मामलों का कारण बन सकता है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने शुक्रवार को कहा कि नया वैरियंट वैश्विक आर्थिक सुधार को भी धीमा कर सकता है।
  दक्षिण अफ्रीका में ओमीक्रोन का पहला मामला 24 नवंबर को मिला था। इसके दो दिन बाद डब्लूएचओ ने ओमीक्रोन को चिंता वाला वैरियंट घोषित कर दिया था। इस वैरियंट के कारण दक्षिण अफ्रीका में कोरोना के मामले 300 फीसदी तक बढ़ गए हैं। इतना ही नहीं, कुछ दिनों में 30 लाख कोरोना केस आने के बाद अस्पतालों में भी पैर रखने की जगह नहीं बची है। कोरोना का नया वैरियंट ओमीक्रोन अभी तक 38 से अधिक देशों में दस्तक दे चुका है। इसमें भारत, श्रीलंका, मलेशिया, मैक्सिको, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बोत्सवाना, ब्राजील, कनाडा, चेक गणराज्य, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, घाना, हांगकांग, आयरलैंड, इजराइल, इटली, जापान, मोजाम्बिक, नीदरलैंड, नाइजीरिया, नॉर्वे, पुर्तगाल, रीयूनियन द्वीपसमूह, सऊदी अरब , दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्वीडन, स्विटजरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ब्रिटेन और अमेरिका समेत कई दूसरे देश भी शामिल हैं। दक्षिण अफ्रीका में शोधकर्ताओं ने 24 नवंबर को कोविड-19 के नए स्वरूप ओमीक्रान (बी.1.1.529) की पहचान की और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दो दिन बाद इसे चिंता वाला वैरियंट करार दिया। ओमीक्रोन कोरोना वायरस के स्वरूप के मामले में बेहद अलग है क्योंकि यह अब तक सार्स-सीओवी-2 का सबसे ज्यादा बदला हुआ स्वरूप है। इसकी आनुवंशिक संरचना में कुल 53 उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) हैं और अकेले तो स्पाइक प्रोटीन पर 32 म्यूटेशन हैं। डेटा का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों के एक समूह को बुलाने के बाद, डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अन्य प्रकारों की तुलना में प्रारंभिक साक्ष्य इस स्वरूप से फिर से संक्रमण के बढ़ते जोखिम का सुझाव देते हैं। इसका मतलब है कि जो लोग संक्रमण से उबर चुके हैं, वे भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। समझा जाता है कि इस नये स्वरूप में कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में सबसे ज्यादा, करीब 30 बार परिवर्तन हुए हैं जिससे इसके आसानी से लोगों में फैलने की आशंका है। दुनियाभर के अनुसंधानकर्ता इस बात का पता लगाने में जुटे हैं कि क्या मौजूदा कोविड टीके हमें वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन से बचा सकते हैं। इसमें सबसे बड़ी दुश्वारी यह है कि वायरस अपने जीनोम के महत्वपूर्ण हिस्सों में इतना अधिक उत्परिवर्तित हो गया है कि यह हमें वायरस के पुराने स्वरूपों से बचाने के लिए तैयार किये गए कोविड टीकों को भी मात दे सकता है, जिससे पूरी दुनिया को विनाशकारी परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।

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