आईटी सेक्टर में नौकरियों पर संकट, 2022 तक 30 लाख हो सकते हैं बेरोजगार

नई दिल्ली। कोरोनाकाल में जहां अधिकतर उद्योग-धंधे बंद हो गए वहीं आईटी ऐसा था जो इस समय क्रीमीलेयर बना रहा। लॉकडाउन में आईटी सेक्टर में गजब का बूम आया, जहां सबकी नौकरियां गईं और सैलरी कटी, वहीं इस सेक्टर में न केवल नौकरियां मिलीं बल्कि काफी बढ़िया इनक्रीमेंट भी लगा। लेकिन नॉसकॉम की रिपोर्ट मानें तो आने वाला समय इस सेक्टर में काम करने वालों के लिए संकट पैदा कर सकता है। दरअसल इस सेक्टर में अब ऑटोमेशन लागू होने जा रहा है, जिसकी वजह से अब आधा काम कंपनियां रोबोट के माध्यम से कराएगी। जिसकी वजह से 2022 तक 30 लाख लोग बेरोजगार हो सकते हैं। 
हाल ही में नासकॉम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि घरेलू आईटी क्षेत्र में करीब 1.6 करोड़ नौकरियां हैं, जिनमें से 90 लाख कर्मचारी बीपीओ व अन्य कम दक्षता वाले क्षेत्रों में काम करते हैं। आईटी कंपनियां इन क्षेत्रों में ही करीब 30 लाख नौकरियां अगले साल तक खत्म करने की तैयारी में हैं। सिर्फ रोबोट प्रोसेस ऑटोमेशन (आरबीए) से ही घरेलू बाजार में 7 लाख नौकरियां खत्म हो जाएंगी। इसके अलावा अन्य तकनीकी अपग्रेडेशन से भी लाखों नौकरियों पर असर पड़ेगा। नासकॉम का कहना है कि इन कर्मचारियों पर अभी औसतन सालाना 25 हजार डॉलर का खर्च आता है। छंटनी के बाद वेतन व अन्य खर्चों में कटौती होने से 100 अरब डॉलर की बचत होगी। उधर ऑटोमेशन लागू करने से कंपनियों को 100 अरब डॉलर (7.3 लाख करोड़ रुपये) की बचत होगी। हालांकि, इन कंपनियों को रोबोट ऑटोमेशन के लिए 10 अरब डॉलर (73 हजार करोड़ रुपये) खर्च भी करने होंगे। 

सभी दिग्गज कंपनियां करेंगी छंटनी

नासकॉम के अनुसार भारतीय आईटी बाजार की सभी दिग्गज कंपनियां- टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल, टेक महिंद्रा और कॉग्निजेंट अगले साल तक ऑटोमेशन की वजह से बंपर छंटनी कर सकती हैं। इसमें सबसे ज्यादा गाज बीपीओ क्षेत्र पर गिरेगी। बैंक ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट के हवाले से आईटी संगठन ने बताया कि रोबोट ऑटोमेशन से दुनियाभर में करोड़ों नौकरियां खत्म हो रही हैं। अमेरिका में ही इससे 10 लाख नौकरियां खत्म हो जाएंगी। 

एक रोबोट 10 कर्मचारियों का काम करेगा

ऑटोमेशन अपनाने वाली कंपनियों का दावा है कि रोबोट सॉफ्टवेयर के रूप में 24 घंटे काम करेंगे, जिससे उनकी उत्पादकता बढ़ेगी। इतना ही नहीं, एक रोबोट 10 कर्मचारियों जितना काम कर सकता है और उस पर एक बार ही निवेश करना होगा यानी हर महीने वेतन का खर्च नहीं आएगा। इस तरह देखा जाए तो यह कंपनियों के लिए यह बड़ी बचत का मौका होगा।

जीडीपी में सात गुना बढ़ी हिस्सेदारी

आईटी क्षेत्र की हिस्सेदारी भारतीय जीडीपी में बढ़कर 7 फीसदी पहुंच गई है, जो 1998 में एक फीसदी थी। 2005 से 2019 तक भारतीय कंपनियों ने सालाना करीब 18 फीसदी की तेज वृद्धि दर्ज की है।

भारत-चीन पर सबसे ज्यादा अस

ऑटोमेशन व अन्य उन्नत तकनीक के समावेश से भारत और चीन के श्रम बाजार पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। रिपोर्ट के अनुसार, दक्ष कर्मचारियों के अभाव में इन देशों में एक तरफ तो नौकरियां जाएंगी और दूसरी ओर नई तरह की नौकरियों के लिए योग्य कर्मचारियों का अभाव रहेगा। ऑटोमेशन के बाद जर्मनी में 26 फीसदी, चीन में 7 फीसदी, भारत में 5 फीसदी श्रम का अभाव होगा।

दूसरी लहर में युवाओं ने गंवाई ज्यादा नौकरियां

फॉर्च्यून-500 की रिपोर्ट के अनुसार, महामारी की दूसरी लहर में युवा और ज्यादा उम्र वाले कर्मचारियों ने अधिक नौकरियां गंवाई हैं। 24 साल से कम उम्र वाले युवाओं में 11 फीसदी की नौकरियां गईं, जो पिछले साल 10 फीसदी थी। इसी तरह, 55 साल से ज्यादा उम्र वाले नौकरीपेशा में 5 फीसदी लोग बेरोजगार हो गए। पिछले साल यह संख्या 4 फीसदी थी।

वर्क फ्रॉम होम से कर्मचारियों को तनाव, कंपनियां मालामाल

इस सेक्टर में वर्क फ्रॉम होम चल रहा है, ऐसे में कंपनियों के खर्चे कम होने से भारी मुनाफा हो रहा है लेकिन संभावना है कि घर के काम करने के चलते भी अब इस सेक्टर में भर्तियां कम होंगी क्योंकि कंपनियां वर्क फ्रॉम होम करने वालों के काम करने के घंटे बढ़ाकर उनसे ही काम कराएंगी। ऐसे में पूरी संभावना है कि कम भर्तियां और रोबोट के आगमन से इस बूम वाले सेक्टर में काम करने वालों के लिए आने वाला समय तनाव और छंटनी लेकर आ सकता है।

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