जीवन की सार्थकता के चार सूत्र – टर्न, अर्न, लर्न एंड बर्न 

इन्दौर । परमात्मा ने हम सब को सक्षम बना कर दुनिया में भेजा है लेकिन कई बार ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं कि हमें जीवन को आगे बढ़ाने के बजाय पीछे की ओर चलने के लिए भी बाध्य होना पड़ता है। हम जीवन में आई केन टर्न, आई केन अर्न, आई केन लर्न और आई केन बर्न जैसे चार सूत्रों पर चलकर अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं। जीवन में हमें यह दृढ़ विश्वास होना चाहिए कि हम सब कुछ कर सकते हैं। दृढ़ विश्वास ही जीवन की सफलता का मुख्य आधार होता है।    
वल्लभ नगर स्थित जैन मंदिर भवन पर आयोजित धर्मसभा में परिवर्तन प्रवचनमाला के अंतर्गत ‘स्वयं पर पर भरोसा है ?‘ विषय पर अपने ओजस्वी उद्बोधन में राष्ट्र संत, पद्मविभूषण प.पू. आचार्यदेव रत्नसुंदर सूरीश्वर म.सा. ने उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। महती धर्मसभा में आज मालवमाटी के सरस्वती पुत्र एवं प्रख्यात कथाकार पं. कमल किशोर नागर ने भी आचार्यश्री के दर्शन कर प्रवचनों का पुण्यलाभ उठाया। यह पहला मौका था जब पं. नागर शहर के किसी धार्मिक अनुष्ठान में एक श्रोता की हैसियत से इस आयोजन में पधारे और प्रवचनों का तन्मयता के साथ श्रवणलाभ उठाया। प्रारंभ में महेशभाई शाह, पंकज भाई शाह, डॉ. शरद डोसी, कीर्तिभाई डोसी, कल्पक गांधी, शेखर गेलड़ा, धर्मेन्द्र मेहता एवं शहर के अन्य जैन श्रीसंघों के पदाधिकारियों ने आचार्यश्री की अगवानी की। दशहरा मैदान की प्रवचनमाला के बाद गत 3 जून से आचार्यश्री शहर के 21 विभिन्न जैन श्रीसंघों के तत्वावधान में प्रवचनों की अमृत वर्षा कर रहे हैं। इस श्रंृखला में रविवार 16 जून को पाश्र्वनाथ सोसायटी में ‘ब्रेन बेलेंस‘ विषय पर आचार्यश्री के प्रवचन सुबह 9 से 10 बजे तक होंगे।
आचार्यश्री ने कहा कि किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति इस आत्म विश्वास पर निर्भर होती है कि मन में भरोसा होना चाहिए कि आई केन टर्न। हम किसी भी चीज को बदल सकते हैं। मोटर गाड़ी में आगे बढ़ने के लिए चार गियर होते हैं जबकि पीछे चलने के लिए एक रिवर्स गियर होता है। कई बार हालात के अनुसार हमें पीछे भी चलना होता है। इसी तरह लक्ष्य को पाने के लिए मन में संशय होने पर यह दृढ़ विश्वास होना चाहिए कि हम उसे प्राप्त कर सकते हैं। आई केन अर्न। इसी तरह कुछ नया करने और सीखने के लिए भी बहुत से अवसर आते हैं। आई केन लर्न। और, कुछ ऐसी चीजें भी होती हैं जिन्हें जीवन से दूर करना या नष्ट करना जरूरी होता है। इनमें बुरे विचार, बुरे संस्कार और बुरी बातें शामिल हैं। आई केन बर्न। इस तरह जीवन को आगे बढ़ाने के लिए हमारे सामने आई केन टर्न, आई केन अर्न, आई केन लर्न और आई केन बर्न जैसे चार सूत्र आवश्यक हैं। हमने जीवन में कई तरह के प्रवचन सुने है। हम चाहे कितने भी कमजोर क्यों न हों यदि हम ठान ले कि हमारे अंदर बदलाव आ सकता है तो निश्चित ही बदलाव आएगा। मन का विश्वास ही हमें सफल या असफल बनाता है। हालात के अनुसार हमें जीवन के लक्ष्य को हांसिल करने के लिए स्वयं को बदलना भी जरूरी है। हम कई बार अपनी क्षमता के प्रति आश्वस्त नहीं रहते। यह कमजोरी दूर किए बिना आगे नहीं बढ़ा जा सकता।
:: आगामी कार्यक्रम :: 
आचार्यश्री 17 एवं 18 जून को क्लर्क कालोनी, 19-20 जून को सुखलिया, 21-22 जून को विजय नगर, 23 से 25 जून तक अनुराग नगर, 26-27 जून को तिलक नगर, 28 से 30 जून तक जानकी नगर, 1 जुलाई को सिंधी कालोनी, 2 से 5 जुलाई तक कंचन बाग एवं 6 से 8 जुलाई तक बिचोली हप्सी स्थित प्रकृति कालोनी में विभिन्न विषयों पर अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा प्रतिदिन सुबह 9 से 10 बजे तक करेंगें। 11 जुलाई को आचार्यश्री कंचनबाग से मंगल प्रवेश सामैया के साथ रेसकोर्स रोड स्थित मोहता भवन पर चातुर्मासिक अनुष्ठान के लिए पहुंचेंगे। 

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