ज्ञानवापी मस्जिद पर कोर्ट ने आदेश में शिवलिंग मिलने का जिक्र किया, CRPF करेगी सुरक्षा

वाराणसी   ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे का काम पूरा हो चुका है। सबसे बड़ी खबर यह है कि मस्जिद में शिवलिंग मिलने की पुष्टि हो गई है। तीसरे दिन के सर्वे के बाद हिंदू पक्षकारों ने बाहर आकर इसके संकेत दिए थे। ताजा खबर यह है कि अब कोर्ट की तरफ से भी इसकी पुष्टि हो गई है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन की अपील पर कोर्ट ने जिला कलेक्टर और सीआरपीएफ को ज्ञानवापी मस्जिद का वह स्थान सुरक्षित करने को कहा है जहां शिवलिंग मिला है। कोर्ट ने माना है कि वहां शिवलिंग मिला है। यह महत्वपूर्ण साक्ष्य है इसलिए इस स्थान की सुरक्षा की जाए। उस स्थान को कवर कर लिया जाएगा। वहां कोई नहीं जा पाएगा। वहां अभी सिर्फ 20 मुस्लिम ही नमाज के लिए जा पाएंगे।


सोमवार को सर्वे का तीसरा दिन था।

अब रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में पेश की जाएगी। वाराणसी की जिला अदालत ने इसके लिए 17 मई तक का समय दिया था। तीन दिन के सर्वे की वीडियोग्राफी की गई है। इसकी रिपोर्ट एडवोकेट कमिश्नर तैयार करेंगे, जिस पर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर रहेंगे। इस बीच, सर्वे टीम का हिस्सा सोहनलाल आर्य ने बड़ा बयान दिया है। कोर्ट में केस होने के कारण उन्होंने साफ-साफ कुछ नहीं कहा, लेकिन इतना संकेत जरूर दिया कि नंदी को जिसकी तलाश थे, वो बाबा मिल गए हैं। यानी साफ है कि मस्जिद मे मंदिर के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। वहीं इस मसले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी अहम सुनवाई होगी। ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के खिलाफ सुन्नी वक्फ बोर्ड ने याचिका दायर की है। इससे पहले रविवार को दूसरे दिन का सर्वे हुआ। शनिवार और रविवार को सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक सर्वे हुआ। मामले में अब वाराणसी की जिला अदालत में 17 मई को सुनवाई होगी। इसी दिन सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होगा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में जिस सर्वे को रोकने की याचिका लगाई थी, वह काम पूरा हो चुका है। ऐसे में यह सुनवाई होगी या नहीं, इस पर सवाल है।ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में रविवार को एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही सुबह ठीक आठ बजे शुरू हुई। उस समय तक धूप तीखी हो चुकी थी। गर्मी ज्यादा बढ़े उससे पहले ही मस्जिद परिसर के खुले हिस्से में और गुबंद की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करना तय हुआ। इबादत की जगह पर सभी लोग नंगे पैर दाखिल हुए। गुबंद के अंदर की संरचना को ज्यादा से ज्यादा करीब से देखने की कोशिश थी। सीढ़ी संकरी होती चली गई है और ऊपर सांस लेना भी मुश्किल था। चर्चा रही कि गुंबद की बनावट हर किसी को चौंका रही थी। इसलिए हर कोई उसे देखना चाहता था। थोड़ा वक्त तो लगा लेकिन कई महत्वपूर्ण तथ्यों को समेटकर टीम सीढ़ियों से चढ़कर ऊपर छत तक पहुंची। तब तक तेज धूप से छत तपने लगी थी और नंगे पैर चलना मुश्किल हो रहा था। इसके बाद फोटोग्राफर व वीडियोग्राफर के साथ सभी ने कोने-कोने तक जाकर पूरी संरचना देखी। इसके बाद नमाज वाली जगह पर हालनुमा बड़े कमरे की छत से लेकर फर्श की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी हुई। यहां भी चौकाने वाली कई चीजें थीं। दीवारों और सीलिंग पर बनी कई आकृतियां ऐसी थीं जो मंदिर पक्ष के वकीलों को रुककर उसकी फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी कराने के लिए मजबूर कर रही थीं। दीवारें और खंभों पर खास नजर रही। जैसे-जैसे कार्यवाही बढ़ रही थी, उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी। 100 से ज्यादा फोटो यहां खींचे गए। वीडियोग्राफी भी लंबे समय तक चली। इसके बाद पूरी टीम एक बार फिर तहखाने की ओर चल पड़ी। घनघोर अंधेरा होने के कारण सर्च लाइट का इंतजाम किया गया। बंद जगह में गर्मी की वजह से सभी तर-बतर होते रहे। विषैले जीवों का डर भी था। यहां आने में विशेष रुचि मंदिर पक्ष के लोगों की थी। एक दिन पहले दीवारों पर मिली तमाम आकृतियों से उन्हें और भी कुछ हासिल होने की उम्मीद थी। एक बार फिर दीवारों, खंभों पर निगाह डाली गई। बहुत कुछ ऐसा था, जिसे कैमरों में कैद कराना जरूरी था। टीम परिसर में मौजूद तालाब के पास भी गई। एक पक्ष चाहता था कि पूरा पानी निकालकर तलाब की फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी हो, हालांकि ऐसा हो नहीं सका। कार्यवाही के दौरान कुछ लोग एडवोकेट कमिश्नर की नाराजगी का शिकार भी हुए। उन्हें कुछ वक्त के लिए कार्यवाही से दूर कर दिया गया। तय समय दोपहर 12 बजे कार्यवाही बंद की गई।

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