देश में रोजाना बर्बाद हो रहा 49 अरब लीटर पानी, नीति आयोग ने चेताया

नई दिल्ली : देश में पानी के संकट के बारे में तो आप ने जरूर सुना होगा, नीति आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में इस खतरे को लेकर आगाह किया है. लेकिन इस पानी के संकट के लिये आखिरकार ज़िम्मेदार कौन है ? एनजीटी में दायर की गयी एक याचिका में कहा गया है कि हमारे देश में सिर्फ लापरवाही से रोजाना 49 अरब लीटर पानी बर्बाद हो जाता है. एनजीटी ने इस याचिका का संज्ञान लेते हुए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय से पानी की बर्बादी का हिसाब किताब पेश करने वाली एक रिपोर्ट तलब की है. याचिका में पानी की बर्बादी रोकने के लिये कड़े दंड के प्रावधान की मांग भी की गयी है.

ब्रश करने में 25 लीटर पानी बर्बाद होता है
क्या रोज सुबह उठकर ब्रश करते वक्त आपने कभी ये बात नोटिस की है कि जाने या अनजाने में आप कितना पानी यूं ही बर्बाद कर देते हैं. एनजीटी में दायर एक याचिका के मुताबिक भारत में 33 फीसदी लोग रोज नहाने या ब्रश करने के दौरान बिना काम के भी नल को खुला रखते हैं. जिससे साफ पानी बर्बाद हो जाता है. आमतौर पर एक नल से एक मिनट में करीब 5 लीटर पानी निकलता है ऐसे में 3 से 5 तक मिनट ब्रश करने मे करीब 25 लीटर पानी बर्बाद हो जाता है, इसी तरह एक शॉवर एक मिनट में अगर 10 लीटर पानी निकलता है तो 15 से 20 मिनट नहाने के दौरान करीब 50 लीटर पानी बर्बाद हो जाता है. इसी तरह बर्तन धोने के दौरान नल खुला रखने से भी 20 से 60 लीटर तक पानी बर्बाद हो जाता है.

16 करोड़ लोगों को साफ पानी नहीं मिलता
गाज़ियाबाद से काउंसलर राजेन्द्र त्यागी और गैर सरकारी संस्था फ्रैंड्स की तरफ से एनजीटी में दायर एक याचिका में स्टडी का हवाला देते हुए कहा गया कि हमारे देश में रोजाना करीब 4,84,20,000 करोड़ घन मीटर यानी एक लीटर वाली 48.42 अरब बोतलों जितना पानी बर्बाद हो जाता है, जबकि इसी देश में करीब 16 करोड़ लोगों को साफ और ताजा पानी नहीं मिलता और वहीं, 60 करोड़ लोग जलसंकट से जूझ रहे हैं. याचिका में मांग की गयी है कि पानी की बर्बादी पर दंड मिलना चाहिए, इसके लिए अभी कोई प्रावधान नहीं है. याचिका पर जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के अलावा दिल्ली जल बोर्ड से भी एक महीने में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.

फ्लश करना भी पानी की बर्बादी
रोजमर्रा की जिंदगी में पानी की बर्बादी के और भी कई कारण है. घरों और बिल्डिंगों में छत पर लगी पानी की टंकी से ओवरफ्लो पानी की बर्बादी का एक बड़ा कारण है. बाथरूम में लगे फ्लशिंग सिस्टम भी पानी की बर्बादी में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं. एक बार फ्लश करने में 6 से 15 लीटर पानी निकलता है जबकि असलियत में उससे कहीं कम पानी में ही काम चलाया जा सकता है.

हाई प्रेशर पाइप से कार धोने के दौरान भी बड़ी मात्रा में पानी बर्बाद चला जाता है. आपको हर गली मोहल्ले में ऐसे कार वॉशिंग सेंटर खुले मिल जाएंगे, जहां पर पीने के पानी या फिर ग्राउंड वॉटर का इस्तेमाल गाड़ी धोने में किया जाता है. हम लोग ऐसे ही एक कार वॉशिंग सेंटर में पहुंचे, कार धोने वाले ने बताया कि वह बोरवेल से पानी निकाल कर गाड़ी धोते हैं.

 

चाहे शहर हो या गांव पानी की बर्बादी के मामले हर जगह देखने को मिल सकते हैं. बड़े-बड़े स्वीमिंग पूल्स में वो पानी भरा जाता है जो पीने के लिये होता है और फिर पूल साफ करते वक्त सारा पानी यूं ही नालियों में बहा दिया जाता है. घरों में लगे आरओ के इस्तेमाल से भी करीब 80 फीसदी पानी बर्बाद हो जाता है. एक अनुमान के अनुसार साल 2025 तक पानी की मांग जो अभी 40 अरब क्यूबिक मीटर है वो बढ़कर 220 अरब क्यूबिक मीटर तक पहुंच सकती है. नीति आयोग ने 14 जून, 2018 को जारी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि 2020 तक दिल्ली, बेंगलुरू, चेन्नई और हैदराबाद समेत 21 भारतीय शहरों का भूजल खत्म हो सकता है. यही वजह है कि एनजीटी में दायर इस याचिका में अपील की गयी है कि पानी की बर्बादी करने पर सजा का प्रावधान किया जाना चाहिये.

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