मोबाइल नंबर को आधार से डी-लिंक कराने की बाध्यता नहीं

आधार प्रमाणीकरण के जरिए जारी किए गए 50 करोड़ से अधिक फोन कनेक्शन बंद या अमान्य नहीं होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें आधार से डी-लिंक कराने के बारे में कोई आदेश नहीं दिया है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति अपना मोबाइल डी-लिंक नहीं कराना चाहता है तो वह अपना आधार केवाईसी जारी रख सकता है। लेकिन कोई व्यक्ति आधार डी-लिंक कराना चाहता है,  तो वह ऐसा कर सकता है, मगर उसे सेवा प्रदाता को कोई दूसरा वैध केवाईसी दस्तावेज देना होगा।  

‘हिन्दुस्तान’ से विशेष बातचीत में यूआईडीएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉक्टर अजय भूषण पांडे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल के लिए ऑनलाइन आधार अधिप्रमाणन (ईकेवाईसी) पर रोक लगाई है। लेकिन प्रमाणीकरण का जो कार्य हो चुका है और उससे जो मोबाइल कनेक्शन जारी किए गए हैं, उन्हें डी-लिंक या बंद कराने की कोई जरूरत नहीं है।

वहीं मोबाइल कंपनियों के लिए यह बाध्यता नहीं है कि वे आधार प्रमाणीकरण से दिए गए सभी नंबरों के लिए किसी दूसरे केवाईसी की मांग करें। पर कोई व्यक्ति यदि मांग करता है तो सेवा प्रदाता को उसे डीलिंक का विकल्प देना होगा।

मोबाइल कंपनियों से प्लान मांगा

यूआईडीएआई के सीईओ ने कहा कि हमने मोबाइल कंपनियों को आधार अधिप्रमाणन से हटाने के लिए एग्जिट प्लान देने को कहा है। कंपनियों ने कुछ अतिरिक्त समय की मांग की है ताकि वे वैकल्पिक डिजिटल तरीके से सेवा बहाली बनाए रख सकें। मोबाइल सेवा उपयोग कर रहे लोगों को परेशानी न हो इसलिए हम उनके द्वारा एक वैकल्पिक डिजिटल प्रक्रिया और एग्जिट प्लान की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह कार्य अगले कुछ हफ़्तों में पूरा हो जाएगा।

केवाईसी बदले का विकल्प मौजूद

स्वेच्छा से केवाईसी बदलने का विकल्प भी ग्राहकों के पास है। यह निर्णय लोगों को लेना होगा कि वे मोबाइल के लिए पूर्व में दिया गया अपना आधार प्रमाणीकरण (ई-केवाईसी) जारी रखना चाहते हैं या फिर कोई दूसरा केवाईसी मुहैया कराना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने स्वेच्छा से आधार कार्ड के इस्तेमाल पर कोई रोक नहीं लगाई है। 

  •  

Leave a Reply