इस बार का Thursday करेगा आपकी अधूरी इच्छाओं को पूरा, जानें कैसे

10 अगस्त का बृहस्पतिवार है खास, हिन्दू पंचांग प्रणाली के अनुसार साल के छठे महीने को भाद्रपद कहा जाता है। भाद्रपद अर्थात भादों का पूरा माह विष्णु के कृष्ण आभि लिए हुए अवतारों को संबोधित है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी अर्थात कजली तीज के नाम से जाना जाता है। कुछ स्थानों पर इसे सतवा तीज भी कहते हैं। इस दिन आसमान में घुमड़ती काली घटाओं के कारण इस पर्व को कजली अथवा कजरी तीज के नाम से पुकारते हैं। श्री राधाकृष्ण की युगल जोड़ी को फूलों और पत्तियों से सजे झूले में झुलाया जाता है। बहुत सारे स्थानों पर पार्वती की सवारी निकालने की भी परम्परा प्रचलित है। 


इस रोज देवी पार्वती के पूजन का विधान है। कहते हैं जो भी व्यक्ति इस दिन शिवालय जाकर पूजन करता है, उसकी सभी अधूरी इच्छाएं पूरी होती हैं। इसके अतिरिक्त य् उपाय करने से भी मिलते हैं ढेरों लाभ


घर में ये पकवान बनाएं जैसे खीर पूरी, घेवर, गुजिया, बादाम का हलवा, काजू कतली, बेसन का लड्डू, नारियल का लड्डू और दाल बाटी चूरमा। फिर देवी पार्वती सहित शिव परिवार को भोग लगाकर सभी पारिवारिक सदस्य स्वयं भी ग्रहण करें और घर आए मेहमानों और याचकों को भी ये प्रसाद दें। 


शिव मंदिर में जाकर देवी पार्वती को लाल रंग की चुनरी के साथ 16 श्रृंगार का सामान भेंट करें और गुलाब के फूलों की माला पहनाएं। ऐसा करने से सुहागन का सुहाग अमर रहता है और कुंवारी को उसका मनपंसद जीवनसाथी मिलता है।


गंगा जल में केसर मिलाकर देवी पार्वती का अभिषेक करने से व्यक्ति असफलता को छोड़ सफलता की ओर बढ़ता है।


सुखी और समृद्ध जीवन की इच्छा रखने वालों के लिए देवी भागवत में कहा गया है वो देवी का अभिषेक गाय के दूध से करें।  


सात कंजको को घर बुलाकर खीर खिलाएं, उपहार और दक्षिणा देकर विदा करें।


कुंवारी कन्या के विवाह में समस्या आ रही हो तो मां पार्वती के स्वरूप पर 11 हल्दी की गांठे भेंट करें।


इन मंत्रों के जाप से देवी पार्वती प्रसन्न होती हैं-

‘ऊँ उमामहेश्वराभ्यां नमः’’

‘ऊँ गौरये नमः

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