मनी लांड्रिंग: देश से बाहर भेजे 424 करोड़ रुपये, 19 कंपनियों के खिलाफ CBI ने दर्ज किया केस
सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि 2015 में चेन्नई में पंजाब नेशनल बैंक के मिंट स्ट्रीट ब्रांच के कुछ अनाम अधिकारियों ने इन आरोपी कंपनियों से साठगांठ कर इस गैरकानूनी ट्रांजेक्शन को अंजाम तक पहुंचाने में मदद की।
इन सभी कंपनियों के खाते इस शाखा में थे। इस साजिश के तहत ये कंपनियां कोई कारोबारी सौदा किए बगैर विदेशी मुद्रा हांगकांग भेजती रहीं। एफआईआर में कहा गया है कि बैंक खातों का इस्तेमाल एडवांस में विदेशी मुद्रा भेजने के लिए किया गया।
सीबीआई ने कहा कि आयात के लिए अलग-अलग खातों के जरिये 700 एडवांस रेमिटेंस भेजे गए। जनवरी 2015 से लेकर मई 2015 तक इस तरीके से 424.58 करोड़ रुपये बाहर भेजे गए।
कैसे होता था गोरखधंधा
इसके तहत कस्टमर्स को अलग-अलग बैंकों से उनके खातों में आरटीजीएस (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) के जरिये धन भेजा जाता था। इसके बाद कस्टमर 100 फीसदी एडवांस रकम के लिए विदेशी कंपनियों की ओर से जारी कोटेशन के साथ अपनी रिकवेस्ट डालता था। आरबीआई के नियमों से बचने के लिए यह रकम हर बार एक लाख डॉलर से नीचे रखी जाती थी।