हरियाणा विस चुनावः 21 को रहेगा सावर्जनिक अवकाश, 90 सीटें 1168 प्रत्याशी 1.83 करोड़ वोटर
हरियाणा में 21 अक्टूबर दिन सोमवार को सावर्जनिक अवकाश रहेगा, क्योंकि इस दिन विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने आदेश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि 21 अक्टूबर को हरियाणा में मतदान है, जिसे लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। लिहाजा सभी मतदाताओं को इस पर्व में शिरकत करनी है और मतदान के लिए पोलिंग बूथ पहुंचना है।
इस दिन प्रदेश के सभी सरकारी और अर्ध सरकारी कार्यालय, शैक्षणिक संस्थान, बोर्ड, कारपोरेशन व हरियाणा के वे कार्यालय जो चंडीगढ़ और दिल्ली में मौजूद हैं, बंद रहेंगे। इसके अलावा हरियाणा के सभी प्राइवेट प्रतिष्ठानों, दुकानों, फैक्ट्रियों व उद्योगों में भी इस दिन छुट्टी रहेगी। सभी प्राइवेट प्रतिष्ठान इस छुट्टी को पेड लीव समझेंगे, यानी कर्मचारियों को इस छुट्टी का वेतन भी देना होगा।
1168 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला
हरियाणा विधानसभा में पहुंचने के लिए 90 विधानसभा सीटों पर 1168 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा। कुल 1846 उम्मीदवारों ने पर्चे दाखिल किए थे। हरियाणा के संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. इंद्रजीत ने बताया कि जिला अंबाला में कुल 36, जिला झज्जर में कुल 58, जिला कैथल में 57, जिला कुरुक्षेत्र में कुल 44, जिला सिरसा में कुल 66, जिला हिसार में 118, जिला यमुनानगर में 46, जिला महेंद्रगढ़ में 45, जिला चरखी दादरी में कुल 27, जिला रेवाड़ी में कुल 41, जिला जींद में 63, जिला पंचकूला में 24, जिला फतेहाबाद में 50, जिला रोहतक में 58, जिला पानीपत में 40, जिला मेवात में 35, जिला सोनीपत में 72, जिला फरीदाबाद में 69, जिला भिवानी में 71, जिला करनाल में 59, जिला गुरुग्राम में 54, जिला पलवल में 35 उम्मीदवार चुनावी मैदान में रह गए हैं।
19578 मतदान केंद्रों पर 1.83 करोड़ लोग डालेंगे वोट
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में 1 करोड़ 83 लाख 90 हजार 525 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। राज्य की 90 विधानसभा सीटों के लिए 21 अक्तूबर, 2019 को होने वाले मतदान के लिए कुल 19578 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।
4 अक्तूबर, 2019 को प्रकाशित मतदाता सूची के अनुसार प्रदेश में कुल 1 करोड़ 83 लाख 90 हजार 525 मतदाता हैं, जिनमें 1 लाख 7 हजार 955 सर्विस वोटर शामिल हैं। 98 लाख 78 हजार 42 पुरुष मतदाता, 85 लाख 12 हजार 231 महिला मतदाता और 252 ट्रांसजेडर मतदाता हैं।
प्रदेश में 10324 लोकेशन पर 19578 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिसमें 19425 रेगुलर और 153 सहायक मतदान केंद्र हैं। शहरी क्षेत्र में 5741 और ग्रामीण क्षेत्र में 13837 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।
बढ़े तीन लाख मतदाता, नए यूथ वोटरों में भी इजाफा
हरियाणा में इस बार तीन लाख नए मतदाता वोट करेंगे। आमजन को मतदाता सूची में पंजीकृत करवाने को लेकर चलाए गए स्वीप कार्यक्रम के परिणामस्वरूप राज्य में लोकसभा आम चुनाव की तुलना में इस बार कुल मतदाताओं की संख्या में 3 लाख से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है।
इसके अलावा लोकसभा आम चुनाव के समय प्रदेश में 18 से 19 वर्ष आयु वर्ग के नए मतदाताओं की संख्या 3 लाख थी। मगर अब 4 अक्तूबर तक मतदाता सूची में 18 से 19 वर्ष आयु वर्ग के नए मतदाताओं की संख्या 3.82 लाख हो गई है। हरियाणा के संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी डा. इंद्रजीत ने बताया कि लोकसभा आम चुनाव समय प्रदेश में मतदाताओं की कुल संख्या 1,80,56,896 थी। अब यह संख्या 1,83,90,525 हो गई है।
उन्होंने बताया कि महिलाओं की संख्या में भी 1.7 लाख की वृद्धि देखने को मिली है और यह लोकतंत्र के साथ-साथ समाज के लिए भी बहुत गौरव की बात है। उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव के समय महिला मतदाताओं की संख्या 83.36 लाख थी और अब 85.08 लाख महिला मतदाता हैं। इसी प्रकार, लोकसभा चुनाव में सर्विस मतदाताओं की संख्या 1.05 लाख थी और अब 1.07 लाख सर्विस वोटर हैं, जिसमें 2 हजार की वृद्धि दर्ज की गई है।
उन्होंने बताया कि विधानसभा आम चुनाव-2019 के लिए कुल 1169 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जिसमें 1064 पुरूष और 105 महिला उम्मीदवार हैं। उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव के समय प्रदेश में चिन्हित दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 1.04 लाख थी और अब 34 हजार वृद्धि के साथ 1.38 लाख हो गई है।
बढ़ गए 34 हजार दिव्यांग मतदाता
हरियाणा में अब दिव्यांग मतदाताओं की संख्या बढ़ गई है। प्रदेश में इन मतदाताओं की संख्या 34 हजार अधिक हो गई है। इसी को देखते हुए दव्यांग मतदाताओं को अनेक प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। जिसमें व्हीलचेयर की व्यवस्था, मतदान केंद्रों में रैंप और परिवहन की सुविधा शामिल हैं। दृष्टिहीन दिव्यांग मतदाताओं की सुविधा के लिए एपिक कार्ड और फोटो वोटर स्लिप ब्रेल लिपी में छपवाई गई हैं। हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल ने बताया कि लोकसभा आम चुनाव में चिन्हित दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 1 लाख 4 हजार थी।
प्रदेशभर में चलाए गए स्वीप कार्यक्रमों के परिणामस्वरूप अब दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 1 लाख 38 हजार 196 हो गई है। उन्होंने बताया कि 4 अक्तूबर तक राज्य में दृष्टिहीन दिव्यांग मतदाता 11,660, बोलने और सुनने में असमर्थ दिव्यांग मतदाता 8428, चलने में असमर्थ दिव्यांग मतदाता 79537 और अन्य दिव्यांग मतदाता 38,571 हैं। उन्होंने बताया कि सभी दिव्यांग मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने और वापिस घर छोड़ने के लिए वाहन की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी और जो मतदाता चलने में असमर्थ हैं, उन दिव्यांग मतदाताओं को व्हील चेयर भी उपलब्ध करवाई जाएगी।
प्रत्येक मतदान केंद्र पर रैंप की व्यवस्था भी की जाएगी। इसके साथ ही, उनकी सहायता के लिए एनसीसी, एनएसएस और रेडक्रास वॉलंटियर्स की भी व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने बताया कि जो दिव्यांग मतदाता मतदान केंद्र तक जाने और घर वापिस आने के लिए परिवहन की सुविधा तथा व्हीलचेयर की सुविधा चाहते हैं, उन्हें जिला प्रशासन को 4 से 5 दिन पहले सूचित करना होगा। इसके अलावा, पीडब्ल्यूडी मोबाइल एप के माध्यम से भी इन सुविधाओं के लिए मांग कर सकते हैं। दृष्टिहीन दिव्यांग मतदाता और असक्त दिव्यांग मतदाता जो मशीन का बटन दबाकर वोट डालने में असमर्थ हैं, वे वोट डालने के लिए अपने साथ एक सहयोगी को लेकर जा सकते हैं।
सहयोगी की आयु 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए। दिव्यांग मतदाता जो खुद मशीन का बटन दबाकर वोट डालने में समर्थ है, उन मतदाताओं के साथ आने वाले सहयोगी दिव्यांग मतदाता को वोटिंग कक्ष तक ले जा सकते हैं, परंतु सहयोगी वोटिंग कक्ष के अंदर नहीं जा सकते हैं।
एपिक नहीं है तो 11 पहचान पत्र दिखाकर कर सकेंगे मतदान
हरियाणा के संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. इद्रजीत ने कहा कि जिस मतदाता का नाम मतदाता सूची में है, केवल वही मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकता है। यदि किसी मतदाता का नाम मतदाता सूची में है, लेकिन उसके पास फोटोयुक्त मतदाता पहचान पत्र (एपिक) नहीं है तो वह आयोग द्वारा निर्दिष्ट 11 वैकल्पिक पहचान पत्र दिखाकर अपना वोट डाल सकता है। मतदाता को मतदान केंद्र में अपने मत की गोपनीयता बनाए रखना भी अनिवार्य है और ये उसकी नैतिक जिम्मेवारी भी है।
उन्होंने बताया कि यदि मतदाता के पास पुराना एपिक कार्ड है तो भी वह वोट डाल सकता है बशर्ते कि उसका नाम उस क्षेत्र की मतदाता सूची में होना चाहिए। अगर किसी मतदाता का नाम मतदाता सूची में नहीं है और वह वोट डालने के लिए मतदान केंद्र पर अपना आधार कार्ड या वोटर कार्ड या अन्य कोई पहचान पत्र दिखाता है तो उसे वोट डालने नहीं दिया जाएगा। मतदाता केवल तभी वोट डाल सकता है जब उसका नाम मतदाता सूची में दर्ज हो।
उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा 11 वैकल्पिक फोटो पहचान दस्तावेजों में पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, केंद्रीय, राज्य सरकार, सार्वजनिक उपक्रमों या सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों द्वारा कर्मचारियों को जारी किए गए फोटोयुक्त सेवा पहचान पत्र, बैंक या डाकघर द्वारा जारी फोटोयुक्त पासबुक, पैन कार्ड, एनपीआर के तहत आरजीआई द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, श्रम मंत्रालय की योजना के तहत जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज, सांसदों, विधायकों व एमएलसी को जारी किए गए आधिकारिक पहचान पत्र और आधार कार्ड शामिल हैं।