आखिर इंदौर प्रशासन ने कहां गलती कर दी, जिससे 20 दिन में कोरोना मरीजों की संख्या 4 से बढ़कर 900 तक पहुंच गई

इंदौर | केंद्र सरकार की टीम यह जांच करने पहुंची है कि आखिर इंदौर प्रशासन ने कहां गलती कर दी, जिससे यहां 20 दिन में कोरोना मरीजों की संख्या 4 से बढ़कर 900 तक पहुंच गई। केंद्रीय टीम ने जांच में पाया है कि संक्रमण में तेजी से फैलाव का मुख्य कारण लॉकडाउनक का सख्ती से पालन नहीं होना है। प्रशासन प्रभावी रूप से लोगों को साथ नहीं ले पाया।
पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'शुरुआत में इंदौर के लोगों ने सोचा नहीं कि यहां कोरोना फैल सकता है, उन्हें सबसे साफ शहर में होने के लेकर यह विश्वास था। इसलिए शुरुआत में रवैया काफी लचर रहा। लॉकडाउन के नियमों का ठीक से पालन नहीं किया गया। वायरस शहर में पहुंच चुका था और फैलता रहा।'
जांच टीम के एक एक सदस्य ने एचटी को बताया कि लॉकडाउन के बावजूद लोग गलियों में थे और इस वजह से कोरोना वायरस यहां तेजी से फैला। उन्होंने कहा, 'लोगों की आवाजाही को सख्ती से रोका नहीं किया और स्थानीय प्रशासन लोगों को प्रभावी तरीके से साथ नहीं जोड़ पाया, स्वास्थ्य कर्मियों को कई जगह विरोध का सामना करना पड़ा। बचाव के उपायों को भी ठीक से लागू नहीं किया गया और जब वे जाए और तेजी से टेस्टिंग शुरू की, बहुत से लोग संक्रमित हो चुके थे।'
स्थानीय प्रशासन भी इस बात को स्वीकार करता है कि जब अचानक से केस तेजी से बढ़े तो वह तैयार नहीं थे। यह भी स्वीकार करते हैं कि कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए बहुत पहले से तैयारी करनी चाहिए थी। हालांकि अब उनका कहना है कि संक्रमण को रोकने के लिए अब सबकुछ ठीक चल रहा है। 
इंदौर में 24 मार्च को 4 केस सामने आए थे। तब वहां टेस्टिंग के लिए पर्याप्त इंतजाम भी नहीं थे। इसके बाद मरीजों की संख्या प्रतिदिन 30-40 फीसदी की रफ्तार से बढ़ने लगी। अब वहां 12 टेस्टिंग लैब हैं। इंदौर में अब प्रतिदिन 2 हजार सैंपल जांच की क्षमता है। इसे कम से कम हजार प्रतिदिन और बढ़ाने की जरूरत है, जिसके लिए काम किया जा रहा है।
 

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