आत्माएं पड़ जाएंगी पीछे, इन चीजों से बच कर रहें
गीता के दूसरे अध्याय में श्री कृष्ण ने आत्मा का वर्णन किया है। आत्मा व परमात्मा को समझने की विशेष योग्यता तब तक अर्जित नहीं हो सकती, जब तक इनकी अनुभूति नहीं हो जाती। परमात्मा न हिंदू है, न मुस्लिम है, न सिख, न ईसाई है न ही यहुदी है। परमात्मा से सारा संसार उपजा है जड़ चेतन, दृश्य अदृश्य जिसकी बदौलत हैं इसी का मैं अंश हूं। जिस प्रकार बादलों के छा जानें से पर्वतों की खूबसूरती नजर नहीं आती, उसी प्रकार यह अज्ञानता के गुब्बारे के परे हमें हकीकत और सच्चाई दिखाई नहीं देती।
आत्मा एक ऐसी जीवन-शक्ति है जिसके बल पर हमारा शरीर ज़िंदा रहता है। यह एक शक्ति है, कोई व्यक्ति नहीं। इस जीवन-शक्ति के बिना हमारे प्राण छूट जाते हैं और हम मिट्टी में फिर मिल जाते हैं। जब शरीर से आत्मा या जीवन-शक्ति निकलती है, तो शरीर मर जाता है और वहीं लौट जाता है जहां से वह निकला था यानी मिट्टी में। उसी तरह जीवन-शक्ति भी वहीं लौट जाती है जहां से वह आयी थी परमात्मा के पास।
कई बार ये शक्तियां उस लोक तक नहीं पहुंच पाती, जहां उन्हें जाना होता है। ऐसे में ये जीवित लोगों की ओर आकर्षित होकर उनके शरीर को अपना घर बनाने की फिराक में रहती हैं। कुछ ऐसी चीजें हैं जिनसे बचकर रहने में ही भलाई है अन्यथा आत्माएं पड़ जाएंगी पीछे।
गर्भवती स्त्रियों को रात के समय अकेले नहीं रहने देना चाहिए।
जिस स्थान पर स्वच्छता नहीं होती वहां नकारात्मकता अपना प्रभाव दिखाती है। ऐसे स्थान पर कोई बस नहीं सकता।
सूर्यास्त के बाद बाल नहीं खोलने चाहिए।
जिस घर-परिवार में लोग बीमार रहते हैं या स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं से जूझते रहते हैं वहां भी नेगेटिव एनर्जी अपना साम्राज्य स्थापित कर लेती है।
श्मशान से आते हुए पीछे मुड़कर न देखें।
घर में पूरी तरह से रोशनी और पानी के न होने से घर-व्यापार पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
रात को नींद के आगोश में जाने से पहले अधिकतर लोगों को इत्र, डियो अथवा सुंगध को किसी न किसी रूप में अपने शरीर पर लगाना भाता है। पुराणों के अनुसार ऐसा करना नकारात्मक शक्तियों को बुलावा देना है। रात के समय नकरात्मकता सुंगधित काया की ओर विशेष रूप से आकर्षित होती हैं।