आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट्स को लेकर SC में सुनवाई कल; NBCC को मिले थे 7.16 करोड़ रुपये
नई दिल्ली: आम्रपाली (Amrapali) के अधूरे प्रोजेक्ट (Incomplete project) मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सोमवार को सुनवाई करेगा .इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपनी रजिस्ट्रार को आदेश दिया था कि वह एनबीसीसी (NBCC) को फंड (fund) दे ताकि अधर में लटके हुए फ्लैट्स (flats) का काम हो सके. कोर्ट ने 7.16 करोड़ रुपये देने को कहा था. यह पैसा आम्रपाली ग्रुप (Amrapali Group) ने ही सुप्रीम कोर्ट के पास जमा किया था. जिन दो प्रॉजेक्ट्स के लिए यह पैसा दिया जाना था वह नोएडा (Noida) और ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) में हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटीज को एक स्पेशल सेल बनाने का आदेश दिया था. इन स्पेशल सेल का काम होगा कि ये नजर रखें कि लटका काम जल्दी पूरा हो रहा है या नहीं. यह सेल ही नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण घर खरीदारों को निर्माण कार्य (Construction work) पूरा होने का प्रमाण पत्र (कंप्लीशन सर्टिफिकेट) देगा.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एनबीसीसी (NBCC) को अधूरे प्रोजेक्ट्स (Incomplete project) पूरा करने को कहा था. कोर्ट ने RERA से आम्रपाली का रजिस्ट्रेशन (registration) रद्द करने करने के साथ ही पैसे के DIVERSION की जांच ED को सौंप दिया था. कोर्ट ने कहा था कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी प्रोजेक्ट्स के डेवलपमेंट की निगरानी करने में नाकाम रही. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बैंक अधिकरियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए थे और ED से मनी लांड्रिंग (Money laundering) की जांच के आदेश दिए थे. गौरतलब है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी दोनों संसाधन और क्षमता न होने का हवाला देते हुए असमर्थता जताई थी.
दोनों ऑथोरिटी का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) हाई पावर कमेटी की निगरानी में किसी नामी बिल्डर (Famous builder) को अधूरे प्रोजेक्ट (Incomplete project) पूरा करने का काम सौंप दे और कहा था कि करीब 5000 हज़ार करोड़ की राशि आम्रपाली (Amrapali) पर लंबित रहने के बावजूद खरीददारों के हित और राजनीतिक वजहों से उन्होंने लीज रद्द नहीं की. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आम्रपाली समूह (Amrapali Group) की इन अधूरी पड़ी परियोजनाओं (projects) को गिरवी रखकर हजारों करोड़ का कर्ज (loan) बैंकों (Bank) से लेने की बात भी उजागर की थी. जस्टिस अरुण मिश्र और यूयू ललित की खंडपीठ ने कहा था कि आम्रपाली समूह (Amrapali Group) ने अपनी मर्जी से घर के खरीदारों से 11,652 करोड़ रुपये वसूल लिए और इनमें केवल 10,630 करोड़ रुपये ही अपनी आवासीय परियोजनाओं के निर्माण में खर्च किए. वह इन हजारों होम बायर्स (Home buyers) के अधिकारों को सुरक्षित करेंगे और आम्रपाली समूह को इस परियोजना (project) से बाहर कर देंगे.