आर्मी को पहली बार मिलेंगे अपने अटैक हेलिकॉप्टर, सरकार ने खरीद को दी मंजूरी

नई दिल्ली . आर्मी और एयरफोर्स के बीच कई सालों तक चली 'खींचतान' के बाद आखिरकार इंडियन आर्मी को पहली बार खुद के अटैक हेलिकॉप्टर मिलने वाले हैं। रक्षा मंत्रालय में गुरुवार को काफी समय से लंबित 6 अपाचे अटैक हेलिकॉप्टरों की खरीद को मंजूरी दे दी गई। मंत्रालय में फैसला लेने वाली सर्वोच्च संस्था रक्षा खरीद परिषद ने 4168 करोड़ रुपए के नए सौदे को हरी झंडी दी। ये हेलिकॉप्टरों में हेलफायर और स्टिंगर जैसे घातक मिसाइलों से लैस होंगे। चीन के साथ डोकलाम को लेकर जारी तनातनी के बीच इस मंजूरी को काफी अहम माना जा रहा है।

2015 में अमेरिकी कंपनी बोइंग से 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों की खरीद को मंजूरी दी गई थी। ये हेलिकॉप्टर वायुसेना को दिए गए थे। इस सौदे के प्रावधानों के तहत 11 और हेलिकॉप्टर खरीदे जा सकते थे। इसी के तहत भारतीय सेना ने अपने लिए हेलिकॉप्टरों की मांग की थी। आर्मी के पास अब तक बिना हथियार वाले हेलिकॉप्टर रहे हैं। अब वह हथियारबंद हेलीकॉप्टर चाहती है। अपाचे हेलीकॉप्टर मिसाइल और रेडार से लैस होते हैं। रक्षा मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद की बैठक में यह मंजूरी प्रदान की गयी। 

इसके अलावा रक्षा खरीद परिषद ने नौसेना के युद्धपोतों के लिए यूक्रेन से 490 करोड़ रुपये की लागत से दो गैस टर्बाइन इंजन खरीदने के प्रस्ताव को भी मंजूरी प्रदान की है। पिछले साल गोवा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस से राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के बीच हुई शिखर वार्ता के दौरान भारत ने रूस से 4 ग्रिगोरोविच क्लास के युद्धपोत खरीदने को मंजूरी दी थी। ग्रिगोरोविच क्लास के युद्धपोत पर ब्रह्मोस मिसाइल की तैनाती की जा सकती है। इनमें से दो युद्धपोतों का निर्माण भारत रूस में किया जा रहा है जबकि दो का निर्माण भारत में किया जाएगा। रूस में इन युद्धपोतों के निर्माण का काम अभी अधूरा पड़ा है। बताया जा रहा है कि नकद की कमी और यूक्रेन के साथ द्विपक्षीय समस्याओं के चलते काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। बाकी दो युद्धपोतों का निर्माण गोवा में किया जाएगा। यूक्रेन से इन टर्बाइन्स को खरीदने के बाद भारत उन्हें रूस को भेजेगा।

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