उम्मीद है कि शीत युद्ध नहीं चाहने वाले अपने बयान को हकीकत में बदलेंगे : झांग जुन

जिनेवा । संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जुन ने उम्मीद जताई कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन अपनी इस कथनी को करनी में बदलेंगे कि अमेरिका का चीन के साथ नया शीत युद्ध शुरू करने का कोई इरादा नहीं है। झांग ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में विश्व के नेताओं की वार्षिक बैठक के बाद एक डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में कहा हम सभी उम्मीद करते हैं कि अमेरिका शीत युद्ध की मानसिकता को पूरी तरह त्यागकर अपनी कथनी को करनी में बदलेगा। उन्होंने कहा मुझे लगता है कि यदि दोनों पक्ष एक दूसरे की ओर बढ़ेंगे, तो वे चीन और अमेरिका के बीच एक स्वस्थ और स्थिर संबंध देख पाएंगे। अन्यथा चिंताएं बनी रहेंगी।
झांग ने चीन और अमेरिका के संबंधों को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा चीन सबसे बड़ा विकासशील देश है और अमेरिका सबसे बड़ा विकसित देश है और ये दोनों ही देश दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि चीन और अमेरिका के अच्छे संबंधों से दुनिया को लाभ मिलेगा और चीन एवं अमेरिका के बीच संघर्ष की स्थिति में उसे नुकसान भी होगा। झांग ने कहा कि बीजिंग ने हमेशा दोनों देशों के बीच संबंधों के कोई संघर्ष नहीं, कोई टकराव नहीं, आपसी सम्मान और सहयोग के साथ-साथ समानता पर आधारित होने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा हालांकि चीन अमेरिका के साथ सहयोग करने का इच्छुक है, लेकिन हमें हमारी संप्रभुता, हमारी सुरक्षा एवं हमारे विकास की भी दृढ़ता से रक्षा करनी है।
अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने संयुक्त राष्ट्र में विश्व नेताओं से कहा था कि देशों के बीच विवादों को बातचीत और सहयोग के माध्यम से सुलझाने की आवश्यकता है। शी ने कहा था एक देश की सफलता का मतलब दूसरे देश की विफलता नहीं है। दुनिया सभी देशों के साझा विकास और प्रगति को समायोजित करने के लिए काफी बड़ी है। शी की इस टिप्पणी से कुछ घंटे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि उनका एक नया शीत युद्ध शुरू करने का कोई इरादा नहीं है।
वहीं संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने पहले कहा था कि वाशिंगटन और बीजिंग दोनों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि उनके मतभेद और तनाव उनके 42 साल पुराने रिश्ते को पटरी से न उतारें। गुतारेस ने नए शीत युद्ध की आशंकाओं के प्रति सचेत करते हुए चीन और अमेरिका से आग्रह किया था कि इन दोनों बड़े एवं प्रभावशाली देशों के बीच की समस्याओं का प्रभाव दुनिया के अन्य देशों पर भी पड़ने से पहले ही वे अपने संबंधों को ठीक कर लें।
