कतर के विदेश मंत्री से भारत ने अपने नागरिकों के कल्याण पर चर्चा की

सऊदी अरब, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के साथ कतर का विवाद लंबा खिंचने के बीच शनिवार को भारत ने कतर में अपने नागरिकों के कल्याण का मुद्दा इस खाड़ी देश के विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल-थानी के सामने उठाया.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और अल-थानी के बीच हुई व्यापक वार्ता में दोनों पक्षों ने ऊर्जा, व्यापार एवं निवेश के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के तौर-तरीकों पर भी चर्चा की.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि सुषमा और अल-थानी के बीच वार्ता में कतर में भारतीय कामगारों के कल्याण सहित अन्य द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा हुई.  एक अनुमान के मुताबिक, कतर में अभी छह लाख से ज्यादा भारतीय नागरिक काम कर रहे हैं.

जून में सऊदी अरब, मिस्र, यूएई और बहरीन ने कतर से राजनयिक संबंध तोड़ लिए थे और उससे संपर्क के सभी ज़रिए बंद कर दिए गए थे. चारों खाड़ी देशों का आरोप है कि कतर आतंकवाद का समर्थन करता है. कतर ने इन आरोपों को खारिज़ किया है.

अपनी प्रतिक्रिया में भारत ने क्षेत्र के देशों से कहा था कि वो रचनात्मक वार्ता और आपसी सम्मान के स्थापित अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों के ज़रिए संकट सुलझाएं. पिछले कुछ साल में भारत और कतर के संबंध बेहतर हुए हैं.

कतर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला बिन नासिर बिन खलीफा अल-थानी ने दिसंबर में भारत की यात्रा की थी, जिस दौरान भारत ने खाड़ी देश में हाइड्रोकार्बन परियोजनाओं में निवेश के प्रति उत्सुकता ज़ाहिर की थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के प्रधानमंत्री खलीफा अल-थानी ने रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा की थी और धनशोधन एवं आतंकवादियों को पैसे मुहैया कराने के मामलों से निपटने के लिए संयुक्त कार्रवाई पर सहमति जताई थी. सरकारी सूत्रों ने बताया कि शनिवार की बैठक में ऊर्जा, व्यापार एवं निवेश जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा हुई.

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