कौन है पाकिस्तान की तहरीक-ए-लब्बैक या रसूल अल्लाह?

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के पास पिछले 20 दिनों से ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन हो रहा है जिसे तहरीक-ए-लब्बैक या रसूल अल्लाह इस्लामिक संगठन ने बुलाया है.

इस्लामिक प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प में 141 से अधिक लोग घायल हुए हैं.

शनिवार सुबह इस धरने को खत्म कराने के लिए सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की जिससे ज़बरदस्त हंगामा खड़ा हो गया.

इस्लामिक प्रदर्शनकारी क़ानून मंत्री ज़ाहिद हमीद के इस्तीफ़े की मांग कर रहे थे. ये धरना फ़ैज़ाबाद इंटरचेंज पर दिया जा रहा था. ये वो जगह है जो राजधानी इस्लामाबाद को देश के दूसरे हिस्से से जोड़ती है.

सोशल मीडिया और मीडिया के ज़रिए प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई का कराची, लाहौर, सियालकोट जैसी जगहों पर भी असर होता देख प्रशासन ने सभी निजी समाचार चैनलों को ऑफ़ एयर कर दिया है.

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क्या है तहरीक-ए-लब्बैक?

तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान यानी टीएलपी एक इस्लामिक राजनीतिक दल है. जिसका नेतृत्व खादिम हुसैन रिज़वी कर रहे हैं.

इस्लामिक आंदोलन के रूप में टीएलपी का गठन 1 अगस्त 2015 को कराची में हुआ था, जो धीरे-धीरे राजनीति में प्रवेश करता चला गया.

इसका मुख्य मक़सद पाकिस्तान को एक इस्लामिक राज्य बनाना है, जो शरियत-ए-मोहम्मदी के अनुसार चले.

इस संगठन की पहली सभा में 75 लोग शामिल हुए और इन्हीं लोगों के साथ यह आंदोलन शुरू हुआ था.

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कौन है खादिम हुसैन रिज़वी?

तहरीक-ए-लब्बैक या रसूल अल्लाह खुद को एक धार्मिक आंदोलन बताता है, इसकी बागडोर खादिम हुसैन रिज़वी के हाथों में है.

तहरीक-ए-लब्बैक की वेबसाइट पर एक नज़र दौड़ाने पर खादिम हुसैन रिज़वी की एक बड़ी सी तस्वीर दिखती है, जिसके पास संदेश लिखा है 'माय नेशन इट्स टाइम टु मेक ए चेंज'.

वेबसाइट में दी गई जानकारी के अनुसार अल्लामा खादिम हुसैन रिज़वी एक जाने माने इस्लामिक विद्वान हैं जो निडर होकर अपनी बातें रखते हैं.

इसमें बताया गया है कि रिज़वी अलग-अलग हिस्सों में बंटते मुसलमानों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं. रिज़वी के बहुत से वीडियो सोशल मीडिया पर भी मौजूद हैं, जिसमें वे लोगों को उनकी धार्मिक पहचान के बारे में बताते दिखते हैं.

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क्या है मक़सद?

अपने मक़सद के बारे में तहरीक-ए-लब्बैक ने लिखा है कि वह देश की अर्थव्यवस्था को विदेशी ताकतों के चंगुल से बचाना चाहते हैं.

इनके अनुसार अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने जो नीतियां पाकिस्तान के लिए बनाईं उससे यहां के नागरिकों का कोई भला नहीं हुआ, हमें आत्मनिर्भर होने की ज़रूरत है.

वेबसाइट में लिखा है कि आत्मनिर्भर होने का मतलब यह नहीं कि हम खुद को अलग-थलग कर लेंगे, हम सिर्फ योग्यताओं का बेहतर इस्तेमाल करने की बात कर रहे हैं ताकि अच्छे कल की ओर बढ़ सकें.

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कुल कितने सदस्य?

तहरीक-ए-लब्बैक की वेबसाइट पर उसके सदस्यों (वॉलिंटियर्स) की संख्या 2,809 बताई गई है. वेबसाइट पर लिखा गया है कि 'हमारा अभियान आपके सहयोग से ही चल रहा है.'

इसके साथ ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का विकल्प भी वहां मौजूद है.

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