क्या जीत के बाद बढ़ेगा देवेंद्र फडणवीस का राजनीतिक कद?
लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन वाली एनडीए प्रचंड बहुमत से जीत हासिल करने में कामयाब हुई है. एनडीए कुल 348 सीटों पर जीती है. महाराष्ट्र में भी एनडीए का जादू वोटरों के सिर चढ़कर बोला. बीजेपी-शिवसेना गठबंधन 40 सीटों पर जीत हासिल करने के करीब है. इस सीट पर यूपीए के खाते में 7 सीटें और अन्य पार्टियों के खाते में 1 सीटें जाती दिख रही हैं. ऐसे में मोदी लहर के साथ-साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मेहनत से भी इनकार नहीं किया जा सकता.
महाराष्ट्र में एनडीए को मिली इतनी बड़ी जीत जाहिर तौर पर भारतीय जनता पार्टी में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कद बढ़ाएगी. देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र में बीजेपी के कद्दावर नेता बनकर उभरे हैं. उन्होंने शिवसेना के साथ हुए गठबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. महाराष्ट्र में साल 2014 में लोकसभा चुनाव के थोड़े दिनों बाद ही विधानसभा चुनाव हुए थे जिसमें बीजेपी ने 122 जबकि शिवसेना ने 63 सीटें जीती थी. चुनाव जीतने के बाद प्रदेश अध्यक्ष रहे देवेंद्र फडणवीस को बीजेपी ने राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था. उस वक्त फडणवीस बीजेपी के सबसे युवा मुख्यमंत्रियों में से एक थे.
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए आज तक-एक्सिस माई इंडिया के नतीजे महाराष्ट्र में भी सच साबित हुए हैं. एग्जिट पोल में बीजेपी को महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. आज तक-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में महाराष्ट्र में NDA को 38 से 42 सीटें दी थीं जो असली नतीजों जितना ही है. वहीं UPA को 6 से 10 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था, हकीकत में भी परिणाम कुछ इसी तरह का रहा. पिछले बार 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 23 सीटें मिली थीं वहीं सहयोगी शिवसेना को 18 सीटें मिली थीं.
एग्जिट पोल में अनुमान जताया गया था कि पार्टी वाइज वोट शेयर में बीजेपी को 48 प्रतिशत वोट शेयर, कांग्रेस को 33 प्रतिशत, VBA को 13 प्रतिशत और अन्य को छह प्रतिशत वोट शेयर मिलेगा. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी गठबंधन को 48 प्रतिशत वोट शेयर मिला था, वहीं विधानसभा चुनाव में 47 प्रतिशत वोट शेयर मिला था. जबकि कांग्रेस को 2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में क्रमशः 37 और 36 प्रतिशत वोट शेयर मिले थे. अन्य को 2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में 15 और 17 प्रतिशत वोट शेयर मिले थे.
शिवसेना को लाए साथ
23 जनवरी 2018 को बीजेपी और शिवसेना की करीब 25 साल पुरानी दोस्ती टूट गई और पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने 2019 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया. उस वक्त शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मीडिया के सामने कहा था कि मैं वचन देता हूं कि हम अपने दम पर देश के सभी राज्यों में चुनाव लड़ेंगे चाहे जीतें या हारे लेकिन चुनाव अपने दम पर ही लड़ेंगे. उस वक्त शिवसेना ने यह भी दावा किया था कि वो 2019 के लोकसभा चुनाव में 25 और विधानसभा चुनाव में 150 सीटें जीतेगी. 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी और शिवसेना में कुछ फैसलों और महाराष्ट्र में वर्चस्व को लेकर मतभेद शुरू हो गए. किसानों के मुद्दे से लेकर पानी की समस्या तक पर सरकार में सहयोगी शिवसेना ने ही सवाल उठाए और फडणवीस को इसके लिए जिम्मेदार बताया. लेकिन फडणवीस ने बहुत आसानी से शिवसेना को अपने पाले में कर लिया. महाराष्ट्र में एनडीए को मिली यह बड़ी जीत पार्टी आलाकमान की नजर में उनके कद को बढ़ाने वाली है.
2014 के क्या थे आंकड़े
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को 41 सीटें मिलीं थीं. वहीं अगर राज्य में हुए विधानसभा चुनाव से इसकी तुलना करें तो बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को लोकसभा की 37 सीटें मिलतीं. इसी तरह कांग्रेस और सहयोगियों को 2014 के लोकसभा चुनाव में छह सीटें मिलीं थीं, जबकि विधानसभा चुनाव से तुलना करने पर इन सीटों की संख्या 10 पहुंचती. वंचित बहुजन आघाड़ी(VBA) ने 47 सीटों पर लोकसभा का चुनाव लड़ा है और एआईएमआईएम ने एकमात्र सीट पर चुनाव लड़ा है. अन्य दलों ने 48 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ा. मगर इनके खाते में कोई सीट नहीं आई.