क्या नीरव बनेंगे दूसरे माल्या…या भारत लाना होगा आसान? पढ़ें- क्या कहते हैं नियम

नई दिल्ली पंजाब नेशनल बैंक (PNB) महा घोटाले के बाद हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी देश से फरार हैं. सवाल है कि क्या भारत के प्रत्यर्पण संबंधी कानून, दूसरे देशों के साथ हुए द्वपक्षीय समझौतों के तहत उन्हें स्वदेश लाना मुमकिन है ताकि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके. जवाब होगा, हां, भारतीय प्रत्यर्पण कानून एवं आपसी कानूनी सहायता संधि के जरिये उन्हें वापस लाया जा सकता है. मगर कई मुश्किलें भी हैं. आइए समझते हैं कानून की जटिलताओं को पांच बिन्दुओं में-


1-क्या है प्रत्यर्पण संधि


विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक, प्रत्यर्पण संधि के तहत कोई भी देश किसी आरोपी को दूसरे देश को सौंपता है. यह तभी संभव होता है, जब आरोपी का अपराध साबित हो जाए और कोर्ट उसे दोषी करार दे दे. एक भगौड़ा अपराधी के मामले में ही किसी देश के साथ प्रत्यर्पण के लिए प्रक्रिया शुरू करने का औपचारिक आवेदन किया जा सकता है. इसमें इसका ध्यान रखना होगा कि अपराधी का अपराध उक्त देश के साथ हुए प्रत्यर्पण संधि के दायरे में आता हो. 


2-क्या है जटिलता

मगर इससे पहले हमें प्रत्यर्पण संधि की जटिलता को समझना होगा. पहला-प्रत्यर्पण कानून के प्रावधान उन्हीं स्थितियों में लागू होते हैं, जब आरोपी का अपराध दोनों देशों में अपराध माना जाता हो. दूसरा- आर्थिक धोखाधड़ी के मामले में आरोपी को विदेश से भारत लाया जा सकता है, लेकिन उसके लिए भारत को अदालती प्रक्रिया से गुजरना होगा. मगर यह इतना आसान भी नहीं जितना कि समझा जा रहा है. क्योंकि दूसरे देशों के साथ हुई भारत की प्रत्यर्पण संधि में दशकों से कोई बदलाव या संशोधन नहीं किया गया है.  


3-पुराने मामले में प्रत्यर्पण


बहरहाल आर्थिक धोखाधड़ी के दोषियों को देश लाने के मामलों को उदाहरण के तौर पर समझा जा सकता है. इंटरनेशनल फ्रॉड नरेंद्र कुमार रस्तोगी को जुलाई 2008 में प्रत्यर्पण संधि के जरिये ही भारत लाया गया था. फ्रॉड करने वालों में वह अकेले नहीं था, बल्कि उसके भाई रविंदर, वीरेंद्र, सुभाष चंद और चचेरा भाई राकेश भी शामिल थे. इन सब भाइयों ने मिलकर 1989-92 के दौरान भारत सरकार को 54 करोड़ रुपये का चूना लगाया था.  


रस्तोगी बंधु सरकार का पैसा लेकर दुबई, अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर भाग गए. इस मामले में रविंदर को 2003 में भारत लाया गया और अभी वह जमानत पर बाहर है. नरेंद्र 2008 में प्रत्यर्पित किया गया. नरेंद्र धोखाधड़ी के एक अन्य मामले में अमेरिका की जेल में भी 84 महीने गुजारे। उसके बाद उसे भारत लाया गया. वहीं राकेश अभी तक गायब है.


4-कैसे आएगा नीरव मोदी


नीरव मोदी को भारत लाने के लिए कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा. सबसे पहले इनके खिलाफ अदालत में सुनवाई होगी और दोषी करार दिया जाना चाहिए. दोषी करार दिए जाने के बाद जांच एजेंसियों को पता लगाना होगा कि नीरव मोदी किस देश में है और यह भी देखना होगा कि उस देश के साथ प्रत्यर्पण संधि किस तरह की है. इन सब चीजों के बाद उस देश के साथ नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की औपचारिक प्रक्रिया शुरू करनी होगी.


5-दो आरोपी, एक कानून


भारत का अभी तक 43 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि है. अभी अभी भारत का ईरान के साथ इस तरह की संधि हुई है. भारत का ब्रिटेन और अमेरिका के साथ भी प्रत्यर्पण संधि है. धोखाधड़ी का एक आरोपी विजय माल्या ब्रिटेन में रह रहा है जिसे भारत लाने की कोशिश की जा रही है. हालांकि माल्या और नीरव मोदी के खिलाफ लगे आरोप में थोड़ा अंतर है, लेकिन दोनों को एक ही कानून के तहत भारत प्रत्यर्पित कराना होगा. सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि अगर नीरव उस देश में है जिससे प्रत्यर्पण संधि है तो उसे भारत लाया जा सकता है, लेकिन फिर भी यह इतना आसान नहीं है.


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