गणेश चतुदर्शी: 11 दिन तक न करें ये काम, बनेंगे बप्पा की कृपा के हकदार
सिद्धि विनायक श्री गणेश चतुर्थी व्रत : इस दिन को कलंक चौथ, पत्थर चौथ और डण्डा चौथ के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष 11 दिन तक बप्पा भक्तों के संग विराजेंगे। आप भी उनकी कृपा के हकदार बनना चाहते हैं तो गणपति महोत्सव के 11 दिन तक कुछ खास बातों का ध्यान रखें।
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गणेश जी की मूर्त का मुंह सदा आपके घर के अन्दर की आेर होना चाहिए, पीठ कभी नहीं। उनकी दृष्टि में सुख-समृद्धि, एेश्वर्य व वैभव है जो आपके यहां प्रवेश करते हैं। पीठ में दरिद्रता होती है जो रोग, शोक और नकारात्मक ऊर्जा लाती है।
मोदक अथवा देसी घी के बने लड्डू का सुबह-शाम भोग लगाएं।
गणेश जी के भोग में तुलसी का प्रयोग न करें। दूब घास उन्हें बहुत प्रिय है उसे धोकर ही चढ़ाएं।
जमीन पर सोएं।
ब्रह्मचार्य का पालन करें।
मांस, मदिरा, लहसुन और प्याज न खाएं।
लड़ाई-झगड़े से दूर रहें, घर में सात्विकता का माहौल बनाए रखें।
घर में शुद्ध आहार का उपयोग करें। सर्वप्रथम बप्पा को भोग लगाएं, उसके बाद सारा परिवार प्रसाद ग्रहण करें।
सारा परिवार मिलकर सुबह-शाम घर में गणेश जी की पूजा-आरती करें।
पीले वस्त्र पहनें, काला रंग कदापि न डालें।
टूटे और सूखे चावल अर्पित न करें।
सफेद रंग के फूल, सफेद वस्त्र, सफेद जनेऊ और सफेद चंदन न चढ़ाएं।
लाल रंग के फूल और सिंदूर गणेश जी को बहुत प्रिय हैं।
इस मंत्र के जाप से विध्नहर्ता सभी विध्न-बाधाएं दूर करते हैं-
'त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय। नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।।'
शमी के पत्ते चढ़ाकर इस मंत्र का जाप करने से गणेश जी बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं-
त्वत्प्रियाणि सुपुष्पाणि कोमलानि शुभानि वै। शमी दलानि हेरम्ब गृहाण गणनायक।।