गुजरात में सरकारी बस को किया आग के हवाले, संभाजी भिड़े पर केस दर्ज
सूरतः महाराष्ट्र में दलितों का प्रदर्शन पड़ोसी राज्य गुजरात तक पहुंच गया। यहां समुदाय के सदस्यों ने एक रैली निकाली और भाजपा कार्यालय के बाहर नारेबाजी की। पुणे जिला में एक जनवरी को हुई जातीय हिंसा को लेकर एक दलित संगठन ने महाराष्ट्र के अपने समुदाय के सदस्यों के प्रति एकजुटता जाहिर करने के लिए उधना इलाके में एक विरोध मार्च निकाला। ‘समस्त अंबेडकर समाज’ के बैनर तले एकत्र हुए दलित समुदाय के सैकड़ों लोगों ने एक रैली निकाली। उन्होंने उधना रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन के आगे धरना दिया। इससे कुछ देर के लिए यातायात प्रभावित हुआ। बुधवार को राजकोट के धोराजी के भूखी चौकड़ी के पास अज्ञात लोगों ने यात्रियों को उतारकर सरकारी बस को आग के हवाले कर दिया, हालांकि इसकी सूचना मिलते ही दमकल कर्मी घटनास्थल पर पहुंच गए।
संभाजी भिड़े पर हिंसा का आरोप
महाराष्ट्र के पुणे में हिंसा के बाद दलित समाज दो लोगों की गिरफ्तारी की मांग कर रहा है और इन दोनों पर हत्या का मुकदमा चलाने की मांग कर रहा है। हिंसा के पहले आरोपी संभाजी भिडे हैं, जो इलाके में हिंदुत्व का बहुत बड़ा चेहरा है। वहीं दूसरे आरोपी मिलिंद एकबोटे हैं, हिंदू एकता मोर्चा नाम का संगठन चलाते हैं। संभाजी भिड़े को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परम आदरणीय और गुरुजी कहा था. इनपर हिंसा भड़काने के आरोप में केस दर्ज हुआ है. माथे पर लंबा टीका और मराठी टोपी और तीखा भाषण इनकी पहचान है। मोदी भी संभाजी भिड़े का बहुत आदर करते हैं और उनके संगठन शिव प्रतिष्ठान के कार्यक्रमों में जा चुके हैं।
महाराष्ट्र में बंद का असर
भीमा-कोरेगांव लड़ाई की द्वितीय शताब्दी समारोह मनाने को लेकर हुई हिंसा के विरोध में दलित संगठनों ने बुधवार को महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया था। हालांकि, बाद में महाराष्ट्र बंद वापस ले लिया गया। प्रदर्शनकारी समूह का नेतृत्व करने वाले कुणाल सोनावाने ने बताया, ‘‘पुणे के पास हुई हिंसा के विरोध में प्रदर्शन करने वाले अपने समुदाय के सदस्यों के प्रति एकजुटता जाहिर करने के लिए हमने एक रैली आयोजित की।’’ उन्होंने बताया, ‘‘अपनी योजना के मुताबिक हमने उधना में रैली निकाली और एक ट्रेन और सड़क यातायात को बाधित कर दिया तथा भाजपा मुख्यालय के बाहर नारेबाजी की।’’ पुलिस ने बताया कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और राज्य में कहीं से भी किसी और प्रदर्शन की खबर नहीं है। गुजरात के प्रभारी डीजीपी प्रमोद कुमार ने कहा कि सूरत के प्रदर्शनकारियों ने मार्च निकालने की पुलिस से इजाजत मांगी थी। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘करीब 150-200 लोगों ने पुलिस आयुक्त से रैली निकालने की इजाजत मांगी और उन्हें इसकी इजाजत दी गई। प्रदर्शन के दौरान कोई अप्रिय घटना दर्ज नहीं की गई।’’
ऐसे शुरु हुआ था विवाद?
29 दिसंबर को पुणे के वडू गांव में दलित जाति के गोविंद महाराज की समाधि पर हमला हुआ था, जिसका आरोप मिलिंद एकबोटे के संगठन हिंदू एकता मोर्चा पर लगा और एफआईआर दर्ज हुई। एक जनवरी को दलित समाज के लोग पुणे के भीमा कोरेगांव में शौर्य दिवस मनाने इकट्ठा हुआ और इसी दौरान सवर्णों और दलितों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें एक शख्स की जान चली गई और फिर हिंसा बढ़ती गई।