चीनी मीडिया- ‘मोदी के पीएम बनने के बाद ओवर कॉन्फिडेंस में है भारत’

डोकलाम को लेकर भारत और चीन के बीच पिछले दो महीनों से जारी विवाद के बीच चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने विशेषज्ञों के हवाले से लिखा है कि दक्षिण एशिया क्षेत्र में भारत की साख कमजोर हुई है. अखबार ने अपनी वेबसाइट पर लिखा, "दक्षिण एशिया के कई देश भारत के कंट्रोल में हैं, इसके बावजूद इस मुद्दे पर ज्यादातर देशों ने चुप्पी साधी हुई है और कुछ ने चीन का समर्थन किया है."

चीन की सोशल साइंस अकादमी के ये हेलिन के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, "नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत अपनी शक्तियों को लेकर अति आत्मविश्वास (ओवर कॉन्फिडेंस) में है. भारत को अपने इस आधारहीन आत्मविश्वास की बड़ी कीमत चुकानी होगी."

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, "भले ही पिछले कुछ सालों में भारत का आर्थिक विकास चीन की तुलना में अधिक तेज हुआ है. फिर भी भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सातवें स्थान पर है, जबकि चीन की अर्थव्यवस्था उससे पांच गुणा मजबूत है."  ये ने कहा, "भारत की अंतरराष्ट्रीय रसूख चीन से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकती, दक्षिण एशिया में भी नहीं. अगर चीन भारत को अपना दुश्मन मान ले तो भारत के लिए मुश्किल समय शुरू हो चुका है."

शंघाई के सोशल साइंस अकादमी के फेलो हू झियोंग के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, "नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव्स जैसे दक्षिण एशियाई देशों की फॉरेन पॉलिसी के डिसीजन मेकिंग में भारत का काफी प्रभाव रहा है. हालांकि, जब बॉर्डर पर भारत चीन को उकसा रहा है तो इन देशों की प्रतिक्रिया से यह साफ पता चलता है कि अब दक्षिण एशिया में भारत की लीडरशिप उतनी मजबूत नहीं रही और ये देश भी इसे भारत के कंट्रोल से खुद को बाहर निकालने के मौके के रूप में देख रहे हैं."

अपनी इस रिपोर्ट में ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारत ने कभी भी अपने पड़ोसी छोटे देशों को बराबरी का दर्जा नहीं दिया और अपनी सैन्य शक्ति और राजनीतिक पहुंच का फायदा उठाकर 1975 में भूटान से सिक्किम को छीन लिया. अखबार ने भारत पर आरोप लगाया है कि भारत ने ऑइल एम्बार्गो की मदद से नेपाल को डराने की भी कोशिश की क्योंकि नेपाल में 2015 में नया संविधान लागू किया गया. इस अखबार ने यह भी लिखा कि भारत की लीडरशिप के चलते भूटान की अपनी कोई डिप्लोमैसी नहीं है.

अखबार ने लिखा कि भारत के दबाव के चलते भूटान के चीन और यूएन सिक्योरिटी के कई सदस्य देशों से राजनयिक संबंध नहीं हैं. इसके साथ ही यह भी लिखा कि पाकिस्तान के अलावा कोई भी दक्षिण एशियाई देश भारत को न करने की हिम्मत नहीं करता है. लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि भारत के पड़ोसी उसके कंट्रोल को खत्म नहीं करना चाहते. हू के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, "वे जानते हैं कि चीन और भारत में उनका अधिक भरोसेमंद पार्टनर कौन है."

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