छठ कल से : रोज ढाई लाख लोग पहुंच रहे पटना, दिल्ली में प्रदूषित यमुना में मनेगा पर्व

नई दिल्ली/पटना. छठ का महापर्व मंगलवार को नहाय-खाय से शुरू होगा। 27 अक्टूबर को सुबह के अर्घ्य के साथ यह पर्व खत्म होगा। महापर्व के लिए पटना में 101 और दिल्ली में 568 घाट तैयार किए गए हैं। पटना में सीएम नीतीश कुमार दो बार घाटों का दौरा कर चुके हैं। वहीं, दिल्ली में इस बार भी उसी प्रदूषित यमुना में छठ मनाया जाएगा, जिसके पानी में कुछ देर के लिए हाथ डालने पर ही स्किन इन्फेक्शन का खतरा बना रहता है। इस बीच, दिल्ली-मुंबई से पटना आने वाले रूट पर ट्रेनों में लंबी वेटिंग है। 86 स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। फिर भी भीड़ कम नहीं हो रही है। शनिवार से ही पटना स्टेशन पर रोजाना ढाई लाख लोग पहुंच रहे हैं। पहला अर्घ्य 26 अक्टूबर की शाम को…

 

इस तरह मनेगा महापर्व छठ

 

1) अनुष्ठान: छठ का अनुष्ठान 23 अक्टूबर से शुरू हो गया। व्रत रखने वालों ने निरामिष रहते हुए पवित्रता का पालन शुरू कर दिया। 

2) नहाय-खाय: 24 अक्टूबर को छठ व्रत करने वाले श्रद्धालु नियम-संयम बरतते हुए स्नान कर शुद्ध आहार लेंगे। कद्दू की सब्जी, अरवा चावल का भात, चने की दाल, आंवले की चटनी और लौकी का बजका ग्रहण करेंगे। 

3) खरना: 25 अक्टूबर को खरना है। शाम में खरना के दौरान गुड़-दूध से बनी खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निराहार व्रत शुरू हो जाएगा।

4) पहला अर्घ्य: 26 अक्टूबर की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को व्रती पहला अर्घ्य देंगे। 

5) सुबह का अर्घ्य:27 अक्टूबर शुक्रवार की सुबह प्रात:कालीन यानी उदयाचलगामी सूर्य को व्रती अर्घ्य प्रदान करेंगे। इसके साथ ही यह पर्व पूरा हो जाएगा और तब पारण होगा।

ऐसा है रेलवे का हाल

 

1) दिल्ली

– उत्तरी रेलवे के सीपीआरओ नीरज शर्मा ने बताया कि छठ पूजा के लिए 86 स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। पिछले साल इस सीजन में स्पेशल ट्रेन के 1700 फेरे लगे थे। इस बार इन्हें बढ़ाकर 1937 किया गया है। 36 ट्रेनों में 58 एक्स्ट्रा कोच जोड़े गए हैं। इससे करीब एक लाख 22 हजार सीटें बढ़ गई हैं। भीड़ को देखते हुए पटना के लिए चार पेयर स्पेशल ट्रेनें भी चलाई जा रही हैं। नई दिल्ली स्टेशन पर 17 और आनंद विहार स्टेशन पर 15 एक्स्ट्रा बुकिंग काउंटर लगाए गए हैं।

2) पटना

– दिल्ली-मुंबई समेत बड़े शहरों से पटना आने वाली रेग्युलर ट्रेनों में लंबी वेटिंग है। पूजा स्पेशल ट्रेनें भी फुल हैं। पूर्व मध्य रेल के सीपीआरओ राजेश कुमार के मुताबिक, छठ के लिए 10 से ज्यादा पूजा स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। जरूरत पड़ने पर इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। 

– रविवार को पटना जंक्शन पर सुबह से ही भारी भीड़ दिखी। ज्यादा भीड़ दिल्ली से आने वाली ट्रेनों में रही। राजधानी एक्सप्रेस, संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस, श्रमजीवी एक्सप्रेस, विक्रमशिला एक्सप्रेस, यहां तक कि मगध एक्सप्रेस समेत कई अन्य ट्रेनों में भी खचाखच भीड़ थी। पटना जंक्शन पर एडिशनल रेलवे स्टाफ लगाया गया है। 

– आम दिनों के मुकाबले हर दिन ढाई लाख से ज्यादा रेल पैसेंजर्स पटना जंक्शन पर उतर रहे हैं। छठ के चलते इस हफ्ते पटना आने वाली किसी भी ट्रेन में कन्फर्म टिकट मौजूद नहीं है। 27 अक्टूबर से 5 नवंबर तक पटना से शुरू होने वाली या गुजरने वाली किसी भी ट्रेन में बर्थ अवेलेबल नहीं है।

दिल्ली-पटना में कैसे मनेगी छठ?

1) दिल्ली में यमुना का पानी खतरनाक

– यमुना की सफाई के लिए पिछले 23 साल में तीन एक्शन प्लान बने। उन पर अब तक 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं, लेकिन नदी पॉल्यूशन फ्री नहीं हुई। 

दिल्ली में यमुना का पानी इतना पॉल्यूटेड है कि अगर कोई हाथ भी डाले तो उसे स्किन इन्फेक्शन हो जाए। इसी पानी में 26-27 अक्टूबर को छठ पूजा के लिए लाखों महिलाओं को करीब एक घंटे खड़ा रहना पड़ेगा। 

– एम्स के डॉ. सोमेश गुप्ता बताते हैं कि यमुना के पानी में खड़े होने पर केमिकल इफेक्ट और इन्फेक्शन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। केमिकल इफेक्ट से एलर्जी हो सकती है। बचने के लिए श्रद्धालु स्किन पर मॉइश्चराइजर क्रीम लगा सकते हैं, ताकि कुछ हद तक इन्फेक्शन या एलर्जी से बचाव हो सके। 

– दिल्ली में इस बार 568 घाटों पर छठ पूजा की तैयारी की गई है। यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पूजा करने आते हैं। इनमें से ज्यादातर घाट यमुना से अलग स्थानों पर छोटे तालाबों या पार्क में मौजूद जलाशयों के किनारे बनाए गए हैं।

– दिल्ली में 22 किलोमीटर के दायरे में 13 प्रमुख घाटों पर पूजा होगी। वजीराबाद बैराज से ओखला बैराज के बीच 22 किलोमीटर के दायरे में 13 प्रमुख घाट हैं, लेकिन छठ पूजा के दौरान नदी किनारे करीब हर जगह श्रद्धालु पूजा करते नजर आते हैं। इनमें कुदेशिया घाट, वजीराबाद घाट, गीता घाट, आईएसबीटी घाट, आईटीओ स्थित घाट, कालिंदी कुंज घाट, मयूर विहार घाट शामिल हैं।

2) पटना में इस बार 101 घाटों पर पूजा, ऐप पर सारी जानकारी

– बिहार की राजधानी में 101 घाटों पर छठ की पूजा होगी। 88 गंगा घाटों पर इसके लिए तैयारी की गई है। इनमें से 29 घाट को बिहार अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (बुडको) ने, जबकि 59 घाटों को नगर निगम ने तैयार किया है। सोमवार को बैरिकेडिंग और मंगलवार को लाइट लगाने का काम पूरा हो जाएगा। श्रद्धालुओं के आने-जाने के लिए अप्रोच रोड को भी दुरुस्त किया गया है। रविवार को सीएम नीतीश कुमार उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने घाटों का जायजा लेकर कमियां दूर करने को कहा। 

– छठ घाटों की हर जानकारी छठ पूजा पटना मोबाइल ऐप पर है। इसमें नेविगेशन का ऑप्शन है। इससे घाटों की दूरी और पार्किंग की जानकारी मिल सकती है। ऐप में फीडबैक देने का भी ऑप्शन है। 

– दानापुर से फतुहा तक गंगा के 11 घाट पूरी तरह खतरनाक हैं। वहीं, 20 घाटों को आंशिक रूप से खतरनाक घोषित किया गया है। इसमें पटना सदर के 13 घाट हैं। पटना सिटी के 11, फतुहा के तीन और दानापुर के चार घाटों को भी शामिल किया गया है। इन घाटों पर छठ पर्व के दौरान पूजा नहीं होगी। वहां बैनर लगाकर लोगों को इसकी जानकारी दी जाएगी। साथ ही, घाट के ऊपर बैरिकेडिंग कर श्रद्धालुओं को जाने से रोका जाएगा।

मुस्लिम बनाते हैं छठ के लिए चूल्हे

– छठ पर्व के लिए बाजारों में मिट्टी के चूल्हे, दौरा और सूप सज चुके हैं। कद्दू-भात से लेकर खरना और इस पर्व के सभी प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर बनाने की परंपरा है। पटना के वीरचंद पटेल रोड में मुस्लिम कम्युनिटी के दर्जन से ज्यादा लोग सालों से ये चूल्हे बनाते हैं। चूल्हा बनाते-बनाते उनका भी इस महापर्व से जुड़ाव हो गया है।

– चूल्हा बनाने के लिए मिट्टी पुनपुन से लाई जाती है। उसके बाद उसे पानी में फुलाया जाता है। गेहूं के भूसे के साथ दो घंटे तक साना जाता है, फिर ढांचे को तैयार किया जाता है। तीन से चार दिन तक धूप में सुखाया जाता है। ये चूल्हे ना केवल बिहार में बिकते हैं, बल्कि बंगाल और झारखंड भी जाते हैं। इन चूल्हों के दाम करीब 100 रुपए होते हैं। 

– चूल्हे बनाने का काम करने वाली शहदा खातून बताती हैं, "हम चूल्हा बनाने से पहले नहाते हैं, क्योंकि हम इस पर्व की महिमा को जानते हैं।" एक और महिला साजनी ने कहा, "हमें ये कला विरासत में मिली है। बचपन से मैंने अपने अब्बा, अम्मी और दादी को चूल्हा बनाते देखा है। मैं इस काम को 15 सालों से कर रही हूं।"

– संजीदा खातून कहती हैं, "हम अपने आपको भाग्यशाली मानते हैं कि हमारे बनाए चूल्हे पर इस महापर्व का प्रसाद बनता है।"

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