जनता कुछ बोलेगी नहीं, सरकार राज खोलेगी नहीं

पिछले साल ही जिस बैंक को जागरूकता के लिए सर्वश्रेष्ठ पुरूस्कार मिला था, इस साल उसी बैंक का ग्यारह हजार करोड़ का घोटाला सामने आ गया. अब आप सोचिये जो बैंक जागरूकता की श्रेणी में नहीं आते, फिर वहां क्या चल रहा होगा…??
सवाल हजारों है.. इस देश की व्यवस्थाऔ पर, सरकारों पर, राजनेताऔ पर, ब्यूरोक्रेट्स पर, बिना किसी मिलीभगत के इतना बड़ा घोटाला संभव नहीं… लम्बी चैन बनी है अन्दर ही अन्दर.. जब मिडिया के कुछ रिपोर्टर इस घोटाले से जुड़े कई तथ्यो तक पहुंच रहे है, तो शक्तिशाली सीबीआई क्या कर रही है.. उसकी स्पीड इतनी धीमी क्यों है ? कौन रोकता है उसको ? जरूर किसी बड़े नेता का हाथ है इसके पीछे, कुछ विश्वसनीय चैनल भी ये संकेत दे रहे है.. पर अन्तत: होगा क्या ये कोई नहीं जानता.. माल्या भी इसी तरह बैंकों को चुना लगाकर निकल गया.. उसका क्या हुआ ? अभी फिर रोटोमैक पेन के मालिक की भी खबर है कि 5 हजार करोड़ वो भी लेकर फरार है… ये सब क्या हो रहा है? इन बड़े चोरों को ये रास्ता कौन बता रहा है.. सरे आम लूट???
आप टॉल नाके पर कभी पचास रूपये के लिए मना कर दिजिए, कभी बिजली का बिल मत चुकाइये, कभी बैंक की किस्ते बंद करके देखिये… आप पर तुरंत कारवाही होगी.. लेकिन आप जैसे करोड़ो लोगो की मेहनत का बैंक में जमा पैसा, बैंक ही किसी की झोली में डालकर उसे एरोप्लेन तक छोड़ आये तो.. उस पर सरकार की, कानून की खामोशी …?? यानी आम जनता बेवकूफ ही है इनकी नजर में…
हम सरकार बदल कर खुश हो लेते है उसने घोटाले किये तो इनको चुनो, इन्हौने किये तो उनको चुन लो… कभी सांपनाथ, कभी नागनाथ.. अब हमें सरकार नहीं, कानून बदलने के लिए लड़ना चाहिए..
हम रामभरोसे है, देश रामभरोसे….विजय माल्या हो या नीरव मोदी.. ये लोग जानते है.. ये देश सिर्फ भौंहे उपर नीचे होने में हिल सकता है.. बैंको के आंकड़े इनकी समझ से दूर है.. जनता कुछ बोलेगी नहीं, सरकार राज खोलेगी नहीं, कल फिर कोई भागने की तैयारी कर रहा होगा.. और हम लगे रहेगें.. भौंहो के बाद फिर किसी के हाथ पैर ऊंचे नीचे होने के इन्तजार में..
सलाम.. अरूणाचल के चन्द उन लोगो को जिन्हौने.. कल ही दुष्कर्म के दो आरोपियों को बीच बाजार पीट पीटकर मार डाला..
कानून को सौंपते तो कुछ साल बाद इन अपराधियों को सिलाई मशीेनें दिलवा कर रिहा कर देता….
कानून पर क्या भरोसा…….!!!!!

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